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सुरक्षा प्रबंधों के लिए बैंक के नोडल अधिकारियों को ट्रेनिंग देगी पुलिस

साइबर सुरक्षा को लेकर डीजीपी ने की बैठक
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चंडीगढ़ में मंगलवार को हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर साइबर क्राइम की रोकथाम के संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए।
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चंडीगढ़, 26 सितंबर (ट्रिन्यू)

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने कहा कि साइबर अपराध को रोकने के लिए जरूरी है कि गोल्डन ऑवर्स की सीमा में काम करते हुए रिस्पांस टाइम को कम करने की दिशा में प्रयास किए जाएं। इस कार्य में जितनी महत्वपूर्ण भूमिका पुलिस विभाग की है उतनी ही बैंककर्मियों की भी है। इसके लिए बैंकों तथा पुलिस विभाग में बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए काम किया जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि साइबर अपराध होने पर दोनों एक टीम के रूप में काम करते हुए उसे प्रभावी ढंग से रोक सकें।

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वे मंगलवार को चंडीगढ़ में साइबर सुरक्षा को लेकर एचडीएफएसी बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में साइबर पोर्टल के नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग प्रबंधन प्रणाली मॉड्यूल तथा साइबर अपराधियों को पकड़ने में आ रही समस्याओं व उनके समाधान को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। एचडीएफसी बैंक के अधिकारियों ने भी पुलिस प्रशासन का पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। बैंक अधिकारियों ने कहा कि हमारे ग्राहकों की जमा पूंजी को सुरक्षित रखना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है और पुलिस प्रशासन को साइबर सुरक्षा संबंधी हर संभव मदद दी जाएगी। बैठक में एडीजीपी (साइबर क्राइम) ओपी सिंह ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से साइबर सुरक्षा को लेकर आ रही चुनौतियों सहित कई अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी दी। डीजीपी ने कहा कि साइबर अपराध होने पर उसे शुरुआती समयावधि में रोकने की संभावनाएं अपेक्षाकृत अधिक होती हैं। इस अवधि को गोल्डन ऑवर कहा जाता है। उन्होंने बैठक में उपस्थित बैंक अधिकारियों से कहा कि वे शिकायतों पर तत्परता से कार्रवाई करें और प्रतिक्रिया समय को कम करने के लिए अपने यहां तैनात नोडल अधिकारियों की संख्या बढ़ाएं ताकि अवकाश के दिनों तथा विषम समय में भी निर्धारित एसओपी के तहत काम किया जा सके। इन नोडल अधिकारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने तथा रीयल टाइम कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देने के लिए इनकी पुलिस विभाग की नेशनल साइबर हेल्पलाइन नंबर -1930 की टीम के साथ ट्रेनिंग करवाई जाएगी ताकि दोनों में अच्छा समन्वय स्थापित हो। साइबर अपराध को रोकने के लिए मामलों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा। पहली श्रेणी में लाइव केस यानी साइबर अपराध संबंधी ऐसे मामलों को रखा जाएगा, जिनके घटित होने के तुरंत बाद हेल्पलाइन नंबर पर कॉल रिसीव की जाती है और साइबर अपराधी को आगे की ट्रांजेक्शन करने से रोका जाता है। दूसरी श्रेणी में ऐसे साइबर अपराधों को रखा जाएगा जिन्हें घटित हुए अपेक्षाकृत ज्यादा समय बीत चुका है।

पीओएस मशीन देते समय करें सत्यापनडीजीपी ने बैठक में बैंक अधिकारियों से कहा कि वे प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों को देने से पहले विक्रेता के व्यापार का सत्यापन अवश्य करें ताकि मशीन का उपयोग साइबर अपराधियों द्वारा न किया जा सके। कपूर ने इन मशीनों की जिओफेंसिंग करवाने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के बाद ये मशीनें स्वतः ही निष्क्रिय हो जाएं। उन्होंने कहा कि यदि किसी बैंक खाते में संदिग्ध लेनदेन पाया जाता है तो बैंक तुरंत कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।

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