Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कागजों तक सीमित है पीएम फसल बीमा योजना : हुड्डा

सरकारी खरीद एजेंसियां नदारद, मंडियों में औने-पौने दामों पर बिक रही फसलें

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा।
Advertisement
पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसान धरने पे, कंपनियां मुनाफे में और सरकार नींद में, यही पीएम फसल बीमा योजना का सारांश है। हुड्डा बृहस्पतिवार को लोहारू में विधायक राजबीर फरटिया के पारिवारिक समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने धरनारत किसानों के मुद्दों पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि किसानों का 350 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा बकाया है। किसान 104 दिनों से धरने पर बैठे हैं, लेकिन फिर भी सरकार भुगतान करने को तैयार नहीं है। स्पष्ट है कि पीएम फसल बीमा योजना सिर्फ कंपनियों की तिजौरी भरने की योजना है, न कि किसानों को मुआवजा देने की।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने कदम-कदम पर किसानों के साथ धोखा किया है। मुआवजा ही नहीं, किसानों को खाद और एमएसपी से भी वंचित किया जा चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार की भावांतर योजना और सरकारी खरीद एजेंसी कहां है। सरकार द्वारा धान, बाजरा, मूंग और कपास जैसी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य न देकर, किसानों को लगातार ठगा जा रहा है। किसान की फसलें औने-पौने दामों पर बिक रही हैं, लेकिन सरकार व एजेंसियां गायब हैं।

Advertisement

यह किसानों के साथ विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि मंडियों में बाजरा 1850 रुपये से 1900 रुपये प्रति क्विंटल में पिट रहा है, क्योंकि सरकारी खरीद पूरी तरह बंद कर दी गई है। एमएसपी 2250 रुपये प्रति क्विंटल होने के बावजूद किसान नुकसान झेल रहे हैं। धान, मूंग, कपास समेत तमाम फसले इसी तरह पिट रही हैं। कपास 6500 रुपये-7200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि एमएसपी 8100 रुपये प्रति क्विंटल है। सरकारी खरीद न होने से सिर्फ मिलर ही खरीद कर रहे हैं, जिसका पूरा नुकसान किसानों को हो रहा है।

Advertisement

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को एमएसपी का लाभ देने के वादों पर खरी नहीं उतर रही। भावांतर योजना का नाम लेकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। बात-बात पर भावांतर का राग अलापने वाली सरकार, बताए कि अब वो योजना कहां है।

Advertisement
×