Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी का प्रकोप

भिवानी, 26 जुलाई (हप्र) अत्यधिक गर्म मौसम व बरसात न होने से खेतों में खड़ी कपास की फसल पर सफेद मक्खी व गुलाबी सुंडी का प्रकोप बढ़ गया है। सफेद मक्खी कीट कपास के पत्तों को खा जाता है, जो...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
भिवानी के गांव बिरण में सफेद मक्खी रोग से प्रभावित कपास की फसल। -हप्र
Advertisement

भिवानी, 26 जुलाई (हप्र)

अत्यधिक गर्म मौसम व बरसात न होने से खेतों में खड़ी कपास की फसल पर सफेद मक्खी व गुलाबी सुंडी का प्रकोप बढ़ गया है। सफेद मक्खी कीट कपास के पत्तों को खा जाता है, जो पीले पड़कर पौधे की बढ़त को रोक देते हैं और उसके इस हमले से पौधा पीला पड़कर खत्म हो जाता है। गुलाबी सुंडी से कपास के नए उगने वाले टिंडों में गुलाबी सुंडी का कीड़ा निरंतर नुकसान कर रहा है। गुलाबी सुंडी का प्रकोप इस कदर फैला है कि इसमें कपास की फसल की पैदावार आधी से कम कर दी है। इस वर्ष सरकार की एडवाइजरी के बाद किसानों ने काफी हद तक कपास की फसल की बिजाई से परहेज किया था, बावजूद इसके लगभग 85 हजार एकड़ में किसानों ने कपास की बिजाई की है। किसानों ने रिस्क लेकर बिजाई तो कर ली लेकिन अबकी बार पूरा मई, जून व जुलाई माह बिना बरसात के बीत गया, ऐसे में कपास की फसल बुरी तरह प्रभावित हो गई।

Advertisement

गांव बलियाली के किसान देवेंद्र, रामफल, नरेश आदि ने बताया कि इस बीमारी के हमले से कई एकड़ में कपास की खड़ी फसल नष्ट हो रही है और भारी आर्थिक नुकसान हो गया है।

Advertisement

क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ

कृषि विशेषज्ञ डॉ. सतबीर शर्मा का कहना है कि गुलाबी सुंडी का इलाज तो फूलों पर ही किया जा सकता है। टिंडे में घुसने वाले पतंगों के लिए कीट नाशक छिड़काव की आवश्यकता है। वहीं सफेद मक्खी के लिए शीघ्र ही पर्याप्त मात्रा मेें नहरी व बरसात के पानी की जरूरत है।

किसान सभा ने मांगा मुआवजा

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल में शामिल जिला प्रधान रामफल देशवाल, उप प्रधान कामरेड ओमप्रकाश, भिवानी ब्लाक सचिव प्रताप सिंह सिंहमार व धर्मबीर दुहन ने गांव बापोड़ा, बीरण व सागवान गांव के खेतों में दौरा करते हुए खेतों में खड़ी कपास फसल में लगी सफेद मक्खी व गुलाबी सुंडी के प्रकोप से होने वाले नुकसान का जायजा लिया। किसानों का कहना है कि राज्य सरकार को खरीफ फसलों के लिए बीमा कंपनी के नाम की घोषणा अप्रैल में करनी चाहिए थी। अब जुलाई खत्म हो रहा है। अभी तक सरकार फसल बीमा कम्पनी की घोषणा ही नहीं कर सकी। किसान सभा नेताओं ने जिला प्रशासन व राज्य सरकार से मांग की कि बर्बाद फसलों की विशेष गिरदावरी करवाते हुए पीड़ित किसानों को 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिलवाया जाए।

Advertisement
×