रोहतक, 16 अगस्त (निस)
राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि संविधान में लिखा है कि देश में हर व्यक्ति को न्याय मिलना चाहिए। संविधान की बुनियाद भारत के लोगों को न्याय दिलाना है, लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है तो हमारे देश का लोकतंत्र भी खतरे में है। उन्होंने फोन टैपिंग जासूसी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि आज मीडिया, न्यायपालिका से जुड़े लोगों के फोन की टैपिंग हो रही है। उसके खिलाफ संसद में आवाज उठाने पर भी पाबंदी है। किसानों पर देशद्रोह जैसे कठोर कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है।
सोमवार को दीपेंद्र बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने रोहतक जिला बार काउंसिल की आजीवन सदस्यता ली। उन्होंने कहा कि अगर न्यायपालिका की स्वतंत्रता दृढ़ता से रहेगी तभी हमारा लोकतंत्र मजबूत रहेगा। तभी हिंदुस्तान आगे बढ़ेगा। संविधान में न्याय पालिका की स्वतंत्रता हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि का परिणाम है। संविधान निर्माण करते हुए स्वतंत्र न्यायपालिका की परिकल्पना हमारे संविधान निर्माताओं की महान सोच का परिचायक है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका और लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में हम सभी को इसके लिये अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
संसद में नहीं उठाने दी किसान हित की बातें
झज्जर (हप्र) : यहां मीडिया से रूबरू हुए राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश का एकमात्र विपक्षी सांसद होने के बावजूद उन्हें गरीब और किसानों के मुद्दों पर संसद में बोलने नहीं दिया गया। उन्हें केवल यही कहा गया कि आप इन मुद्दों को छोड़कर अन्य किसी मुद्दे पर बोल सकते है। उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद सत्र के दौरान विपक्ष की आवाज दबाने के लिए राजहठ का परिचय दिया।