कुरुक्षेत्र, 6 अक्तूबर (हप्र)
वर्ष 2015 में निकली पीजीटी संस्कृत की भर्ती 6 वर्ष बाद भी पूर्ण होने की बाट जोह रही है। एक जनवरी, 2019 को फाइनल रिजल्ट निकलने के बाद भी पीजीटी संस्कृत अभ्यर्थी आज तक कोर्ट की सड़कों पर धक्के खा रहे हैं। ये आरोप पीजीटी संस्कृत संगठन के प्रधान संजीव कमोदा ने लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भर्ती की योग्यता पर हो रहे बार-बार के एक्सपेरिमेंट के कारण ही सरकार संस्कृत अभ्यर्थियों को आपस में लड़वाने का कार्य कर रही है। सरकार दोनों पक्षों को कोर्ट में लड़वाकर मूकदर्शक बनी हुई है।
उन्होंने वर्ष 2015 में निकले ज्ञापन की प्रति दिखाते हुए कहा कि सरकार वर्षों की जद्दोजहद के बाद भी पीजीटी व टीजीटी अध्यापकों की भर्ती योग्यता के निर्धारण करने में असफल रही है। आज तक सरकार यही निर्णय नहीं कर पा रही है कि एमए, बीएड, आचार्य और शिक्षाशास्त्री में से कौन सी डिग्री योग्य है और कौन सी अयोग्य। इसका नतीजा ये रहा है कि बीजेपी सरकार आज तक एक भी संस्कृत अध्यापक को नौकरी पर नहीं रख पाई है।
संस्कृत अभ्यर्थी बार-बार पंचकूला में धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं। उनकी सरकार से गुजारिश है कि हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में जो भी कागजात मांगे हैं, उन्हें 8 अक्तूबर से पहले जमा करवाए ताकि कोर्ट अपने निर्णय तक पहुंच सके। अगर सरकार 8 अक्तूबर को भी इस भर्ती के प्रति बेरुखी दिखाती है तब संस्कृत अभ्यर्थी सड़क पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे। इस अवसर पर उनके साथ सुरेन्द्र सेलवाल, सुरेन्द्र चोपड़ा, जसविन्द्र सिंह तथा धमेन्द्र रूआ आदि उपस्थित थे।