सरदार दयाल सिंह मजीठिया जैसी विभूतियां युगों-युगों में जन्म लेती हैं : शालिनी नारंग
दयाल सिंह पब्लिक स्कूल सेक्टर-7 के प्रांगण में महान शिक्षाविद, समाज सुधारक और दूरदर्शी विचारक सरदार दयाल सिंह मजीठिया की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच हवन से हुआ। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत मधुर भजनों ने पूरे माहौल को भक्ति और प्रेरणा से सराबोर कर दिया। विद्यालय के सभी शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी एक साथ एकत्र होकर इस महान विभूति को स्मरण कर गर्व और भावुकता से भर उठे। सरदार दयाल सिंह मजीठिया का जीवन त्याग, परोपकार और शिक्षा का पर्याय है। उन्होंने यह साबित किया कि सच्चा धन वह है, जिसे समाज के कल्याण में लगाया जाए। अपनी पूरी संपत्ति उन्होंने शिक्षा प्रसार के लिए दान कर दी थी । विद्यालय, महाविद्यालय और पुस्तकालय उनकी दूरदृष्टि और समाजप्रेम के जीवंत प्रतीक हैं। करनाल, पानीपत और जगाधरी सहित अनेक स्थानों पर आज भी उनके नाम से चल रहे शिक्षण संस्थान समाज को आलोकित कर रहे हैं। मजीठिया जी न केवल शिक्षा के पुजारी थे, बल्कि धर्मनिरपेक्षता, सामाजिकता और मानवता के सच्चे साधक भी थे। वे स्वयं के लिए नहीं, हर वर्ग के लिए जीते थे। विद्यालय की प्रधानाचार्या शालिनी नारंग ने सरदार मजीठिया जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि मजीठिया जी जैसी विभूतियां युगों-युगों में जन्म लेती हैं। प्रधानाचार्या ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में निष्काम सेवा, ईमानदारी और शिक्षा के मूल्यों को अपनाएं और सरदार मजीठिया जी के सपनों का भारत बनाने में योगदान दें। समारोह के अंत में विद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए और यह संकल्प लिया कि वे उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज और राष्ट्र के उत्थान में अपनी भूमिका निभाएंगे।