मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

डॉक्टर की लिखी दवा की पर्ची को अब मरीज समझ सकेंगे

स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से जारी निर्देश पहुंचे सिविल सर्जनों तक
Advertisement
हरियाणा में अब डॉक्टरों की तिरछी और अस्पष्ट लिखावट से मरीजों को दो-चार नहीं होना पड़ेगा। सरकारी हो या निजी अस्पताल, नर्सिंग होम या क्लीनिक - हर जगह डॉक्टरों को दवाओं के नाम साफ और बड़े अक्षरों में लिखने होंगे। यह आदेश सीधे स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से सभी सिविल सर्जनों तक पहुंच चुका है।

इसके पीछे मंशा साफ है कि मरीजों को यह जानने और समझने का अधिकार है कि उन्हें कौन-सी बीमारी है और किस दवा से इलाज किया जा रहा है। दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में डॉक्टरों की लिखावट पर गंभीर चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा कि पर्ची पर ऐसे-ऐसे शब्द लिख दिए जाते हैं जिन्हें न मरीज समझ पाते हैं और न ही कई बार दवा विक्रेता।

Advertisement

अदालत ने 27 अगस्त को आदेश जारी करते हुए कहा कि डॉक्टर नुस्खा लिखते समय कैपिटल लेटर और बोल्ड अक्षरों का प्रयोग करें। कोर्ट ने इसे सीधे-सीधे जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) से जोड़ा और साफ किया कि मरीज काे इलाज जानना और समझना उसका मौलिक अधिकार है। सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। चंडीगढ़ के अस्पतालों की तर्ज पर हरियाणा के सभी सरकारी अस्पतालों में कंप्यूटर से पर्ची तैयार करने की प्रणाली लागू की जाएगी। इससे दवा और इलाज का नाम पढ़ने में किसी को दिक्कत नहीं होगी। जब तक यह व्यवस्था पूरी तरह लागू नहीं हो जाती, तब तक डॉक्टरों को बड़े और साफ अक्षरों में ही दवाओं के नाम लिखने होंगे।

इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा मरीजों को होगा। स्पष्ट लिखावट से दवा के नाम सही तरह से पढ़े जाएंगे और गलतियों की गुंजाइश नहीं रहेगी। दवा बदलने या खुराक में गड़बड़ी जैसी घटनाएं भी रुकेंगी। नई व्यवस्था केवल सरकारी संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगी। निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में भी इसका पालन अनिवार्य होगा। इसके लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को जिम्मेदारी दी गई है।

 

Advertisement
Show comments