विस्थापन का दर्द झेलने वालों को सच्ची श्रद्धांजलि है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस : मंत्री गंगवा
लोक निर्माण एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि हमें वर्ष 1947 में आजादी मिली, लेकिन उसी वक्त देश को दो टुकड़ों में बांटे जाने का जख्म भी झेलना पड़ा। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाईयों को विस्थापित होना पड़ा। उन्होंने अपनी जान गंवा दी, लेकिन अपना धर्म नहीं बदला। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस विस्थापन का दर्द झेलने वाले लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि है। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान को याद करने का दिन है।
गंगवा मंगलवार को गीता मंदिर कैथल में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विभाजन विभीषिका से संबंधित प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसका मुख्य अतिथि द्वारा अवलोकन किया गया। कार्यक्रम के जिला संयोजक पूर्व चेयरमैन कैलाश भगत विशेष रूप से मौजूद रहे। मंत्री ने कार्यक्रम आयोजक सभा को 21 लाख रुपये देने की घोषणा भी की।
गंगवा ने कहा कि भारत वर्ष शताब्दियों से जकड़ी हुई गुलामी की बेड़ियों से 1947 में आजाद हुआ। उस समय के कुछ अग्रणी नेताओं ने सत्ता के लालच में देश का बंटवारा स्वीकार किया, जिसका दंश लाखों लोगों ने झेला। इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को इस बारे में बताना है कि उस समय में बुजुर्गों ने कितनी यातनाएं झेली। विस्थापित होने के बाद भी उन्होंने किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया। अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़े और राष्ट्र को हमेशा आगे रखा। राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि ऐसे इतिहास को हमेशा याद रखना चाहिए, ताकि इसकी पुनवृति न हो सके। देश जब स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है तो विभाजन के कारण अपने प्राण खोने वाले नागरिकों को सम्मान श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। आगामी 14 अगस्त को फरीदाबाद में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी सहित पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल सहित अनेकों गणमान्य लोग विभाजन का दर्द झेलने वाले लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।
देश को वर्तमान आधुनिक लोकतांत्रिक देश बनाने तथा स्वतंत्रता दिलाने में इन लोगों का अमूल्य योगदान था। उन्हें उचित सम्मान नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। स्वतंत्रता दिवस से पूर्व विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का मनाया जाना पीड़ित लोगों को हर भारतवासी की तरफ से आदरपूर्वक श्रद्धांजलि है। यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।
इस अवसर पर जिला संयोजक कैलाश भगत ने मंत्री का स्वागत किया। हर साल स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के तौर पर याद किया जाता है। कैलाश भगत ने कहा कि विभाजन का दर्द झेलने वाले परिवारों ने जो पीड़ा सही है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद यह वर्ग अपनी मेहनत से आगे बढ़ा। कभी किसी के सामने हाथ न फैलाकर मेहनत से खुद को स्थापित किया। उन्होंने विभाजन के दौरान हिंसा का शिकार हुए लोगों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस अवसर पर अमर नाथ भगत, बहादुर चंद मदान, शिव शंकर पाहवा, सुभाष नारंग, सुभाष कथूरिया, महेंद्र खन्ना, महेश दुआ, राजेंद्र खुराना, अरविंद चावला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस अवसर पर विभाजन के दौरान पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में जन्में लोगों की पीड़ा, उन्हीं की जुबान में सुनाती व दिखाती हुई एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। साथ ही मुख्य अतिथि ने विभाजन के दौरान पीड़ाएं झेलकर जीवन में आगे बढ़ने वाले करीब सौ से अधिक बुजुर्गों को शॉल व फूल मालाएं देकर सम्मानित किया।