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श्रद्धालुओं के आकर्षण एवं आस्था का केन्द्र बना पार्थिवेश्वर शिवलिंग

प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर में श्रावण मास के पावन पर्व शिवरात्रि पर 23 तारीख को भगवान पार्थिवेश्वर का पूजन होगा। पार्थिवेश्वर पूजन को लेकर के जोर-शोर से तैयारी चल रही है। आचार्य त्रिलोक शास्त्री ने बताया कि प्राचीन सूर्यकुंड...
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श्रद्धालुओं के आकर्षण एवं आस्था का केन्द्र बना पार्थिवेश्वर शिवलिंग
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प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर में श्रावण मास के पावन पर्व शिवरात्रि पर 23 तारीख को भगवान पार्थिवेश्वर का पूजन होगा। पार्थिवेश्वर पूजन को लेकर के जोर-शोर से तैयारी चल रही है। आचार्य त्रिलोक शास्त्री ने बताया कि प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी 11 फुट का शिवलिंग तैयार हुआ है। इसमें जिसमें नदी गंगा, यमुना, पवित्र सरोवरों का जल, धार्मिक स्थलों से एवं सर्प बांबी की मिट्टी इस्तेमाल की गई है। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर के परमाध्यक्ष डाक्टर गुणप्रकाश चैतन्य महाराज ने बताया कि श्रावण मास में पार्थिव महादेव का पूजन सर्वोपरि है। पार्थिव पूजन से भगवान देव आदी देव महादेव प्रसन्न होते हैं। आश्रम के महंत शिव प्रकाश चेतन महाराज ने बताया श्रद्धालुओं के द्वारा 101 लीटर गाय का दूध, 51 लीटर गन्ने का रस, 7 किलो शहद, बेल पत्र, काले तिल, विभिन्न प्रकार के फूलों आदि से भगवान शंकर का भाव अभिषेक होगा। इसमें हरिद्वार से डाक कावड़ियों के द्वारा आए हुआ गंगाजल भी होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में केवल इसी मंदिर में 11 फुट ऊंचा शिवलिंग बनाया गया है। त्रिलोक ने बताया यहां प्रातः काल से ही भक्तों का पूजन 4:00 बजे से प्रारंभ हो जाएगा और विशेष जलधारा शाम को 7:15 बजे से प्रारंभ होगी। प्रातः काल से ही कांवड़ियों की व्यवस्था में आश्रम के सभी कार्यकर्ता लगे रहेंगे। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर में विशाल मिट्टी का शिवलिंग निर्माण, भक्तों के लिए आकर्षक एवं आस्था का केंद्र बना हुआ है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।       

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