समाज में संबंधों एवं विश्वसनीयता का प्रतीक तोता बंधाई : स्वामी ज्ञानानंद
प्रेरणा वृद्धाश्रम की निर्माणाधीन चौपाल में तोता बंधाई की रस्म में मुख्यातिथि के तौर पर स्वामी ज्ञानानंद पहुंचे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. ममता सचदेवा ने की, जबकि मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी के प्रतिनिधि तुषार सैनी वशिष्ठ भी पहुंचे। इस अवसर पर प्रेरणा वृद्धाश्रम में सभी मेहमानों का हरियाणवी रीति-रिवाज से स्वागत किया गया। प्रेरणा वृद्धाश्रम में पहुंचने पर सर्वप्रथम स्वामी ज्ञानानंद ने मंदिर में माथा टेका तथा उसके उपरांत शहीदी स्मारक व वृद्धाश्रम के प्रेरणा संस्कृति संग्रहालय का अवलोकन किया। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि तोता बंधाई हमारी वैदिक परम्परा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कार्तिक महीना भारतीय संस्कृति के रीति-रिवाजों और त्योहारों की शुरुआत है। इस महीने में तोता बंधाई का विशेष महत्व बन जाता है, क्योंकि इस महीने में भगवान कृष्ण ने करवट ली तो माता यशोदा ने करवट उत्सव मनाया था। दिव्य विभूति महर्षि भगवान वाल्मीकि का जन्म भी कार्तिक महीने में हुआ। गुरु नानक का जन्म भी इसी मास में हुआ। इसी माह में दीपावली पूजा, गोवर्धन पूजा, महिलाओं का पति के लिए करवा चौथ और औलाद के लिए अहोई अष्टमी का व्रत होता है। शुक तोते का नाम होता है, पुराणों की कथा अनुसार शुक महाराज ने समस्त मानव कल्याण की कामना की है। गीता भी हमें समस्त मानव कल्याण का रास्ता दिखाती है। तोता बंधाई सुख-समृद्धि का प्रतीक है। तुषार सैनी ने कहा कि हमारी प्राचीन परम्पराएं बड़ी समृद्ध हैं आज के जीवन में इनका बड़ा महत्व है। सरकार निरंतर परम्पराओं के निर्वहन में प्रयासरत है। डॉ. ममता सचदेवा ने कहा कि तोता बांधना व्यक्तिगत बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि तोता हरे रंग का होता है हरा रंग हरियाली का प्रतीक है। प्रेरणा संस्था की सभी महिला सदस्यों ने हरियाणवी चुनरी पहनकर समारोह में भाग लिया। हरियाणवी कलाकार और प्रेरणा संस्था के महासचिव हरकेश पपोसा ने वृद्धाश्रम में रहने वाले सभी बुजुर्गों तथा अतिथियों को हरियाणवी पगड़ी बांधी।