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बैक्टीरिया देखते ही नीला हो जाता है कागज, पानी को साफ करने का स्‍मार्ट प्रयोग

विनोद लाहोट/निस समालखा,13 दिसंबर स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन के सातवें संस्‍करण में युवा जल संरक्षण एवं भूम‍ि सुधार के लिए स्‍मार्ट प्रयोग कर रहे हैं। समालखा स्थित हरियाणा के नोडल सेंटर पानीपत इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलोजी (पाइट) में देश के...
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विनोद लाहोट/निस

समालखा,13 दिसंबर

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स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन के सातवें संस्‍करण में युवा जल संरक्षण एवं भूम‍ि सुधार के लिए स्‍मार्ट प्रयोग कर रहे हैं। समालखा स्थित हरियाणा के नोडल सेंटर पानीपत इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलोजी (पाइट) में देश के अलग-अलग राज्‍यों से छात्र प्रोजेक्‍ट बना रहे हैं। जोधपुर आईआईटी की शिवा सूर्या पीएम टीम ने इनोवेटिव पेपर बनाया है। इस पेपर पर केमिकल युक्‍त सेंसर लगा हुआ है। इसे अगर पानी में डालेंगे तो यह बता देगा कि पानी साफ है या दूषित है। अगर पानी में खतरनाक स्‍तर पर बैक्‍टीरिया होता है तो कागज का रंग बदलकर नीला हो जाएगा। दो से तीन मिनट में यह परिणाम दे देता है। इस पेपर स्ट्रिप की कीमत 25 से 35 रुपये आती है। खास बात ये है कि ये पेपर पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता। इसे आसानी से नष्‍ट किया जा सकता है।

सीवर ट्रीटमेंट प्‍लांट के बारे में आपने सुना होगा। जहां पर सीवर का पानी साफ होता है। इस प्‍लांट को लगाने के लिए काफी बड़ी जगह चाहिए होती है क्‍योंकि पानी को कई सारे पाइप से गुजारना पड़ता है। एक सीवर ट्रीटमेंट अगर पांच एकड़ में लगता है तो चेन्‍नई के छात्रों ने ऐसा प्रोजेक्‍ट बनाया है, जिसमें आधा एकड़ जमीन की ही जरूरत होगी। श्री शिवसुब्रमण्य नादर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्र यह प्रोजेक्‍ट लेकर आए हैं। चेन्‍नई के छात्र-छात्राओं ने ग्रे एवं ब्‍लैक वाटर को ट्रीट करने के लिए प्रोजेक्‍ट बनाया है। रेट्रो वेव्‍स प्‍योरिफायर टीम ने पोटेशियम का कार्बो नैनो पार्टिकल के साथ प्रयोग किया है। ईडीआई मैथ्‍ड लगाकर अपने प्रोजेक्‍ट को ऑटोमेशन एवं डिजिटल कर दिया है। नैनो पार्टिकल को रीजेनरेट कर देते हैं, जिससे कहीं से भी प्रोसेस कर सकते हैं। दो लीटर पानी को पांच से दस मिनट में साफ किया जा सकता है। यह पानी बागवानी और फसलों में प्रयोग किया जा सकता है। यानी शहरों के नालों के पानी को दोबारा से उपयोग में लाया जा सकता है।

तमिलनाडु से आया वाटर प्‍यूरीफाई टैंक

तमिलनाडु के एमईपीसीओ सेलनेक इंजीनियरिंग कॉलेज से आए छात्र-छात्राओं ने ग्रे वाटर मैनेजमेंट टैंक बनाया है। पानी को एक टैंक में ले जाते हैं, जहां एक तरफ से दूषित पानी बाहर निकल जाता है। पानी को एक घंटे के लिए गर्म किया जाता है। कुछ केमिकल मिलाकर पानी साफ हो जाता है। पानी के ठंडा होने पर दोबारा से क्‍लोरिनेशन प्रोसेस होता है, पांच मिनट बाद ग्रे वाटर पूरी तरह से बदल जाता है। अब इस पानी को बागवानी व खेती में प्रयोग कर सकते हैं।

15 अप्रैल को आएगा परिणाम

पाइट के चेयरमैन हरिओम तायल ने बताया कि पाइट में बनाए गए हरियाणा नोडल सेंटर में देशभर के युवा पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रहे हैं। 15 अप्रैल को विजेता प्रतिभागियों को सम्‍मानित किया जाएगा। गत 11 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के नोडल सेंटर पर युवाओं से ऑनलाइन बातचीत की थी।

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