िबजेंद्र िसंह/निस
पानीपत, 21 अप्रैल
पानीपत की आबादी करीब 9 लाख है और दर्जन के करीब श्मशान घाट हैं। श्मशानों में असंध रोड पर दोनों नहरों के बीच श्मशान में ही पीएनजी आधारित एक श्मशान है और शहर में बाकी किसी भी श्मशान में गैस आधारित या बिजली संचालित श्मशान नहीं है।
यहां लकड़ी से ही संस्कार किया जाता है। पीएनजी आधारित श्मशान करीब एक वर्ष से तैयार है, लेकिन धार्मिक आस्था के चलते इसमें मृतकों के परिजन संस्कार को तैयार नहीं हैं।
कोरोना की पहली लहर के दौरान कोरोना संक्रमित मृतकों का संस्कार करने के लिये नगर निगम ने करीब 58 लाख रुपए की लागत से स्वर्गपुरी श्मशान में पीएनजी आधारित एक श्मशान बनवाया था और वह दूसरी लहर के दौरान बनकर तैयार हो गया था। इसके बावजूद इसमें कोई संस्कार नहीं हुआ है। यहां तक कि जन सेवा दल के सदस्यों व नगर निगम कर्मचारियों द्वारा जब कोरोना संक्रमित मृतकों का संस्कार किया जाता था तो भी पीएनजी वाले श्मशान में किसी का संस्कार नहीं हुआ।
मृतकों के परिजन लकड़ी से संस्कार करने की मांग करते थे। हालांकि एनजीटी ने बिजली संचालित श्मशानों में ही संस्कार को कहा है।
निगम के सीनियर डिप्टी मेयर बोले नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर दुष्यंत भट्ट ने बताया कि निगम द्वारा दोनो नहरों के बीच स्वर्गपुरी में पीएनजी वाला एक श्मशान बनवाया गया है। हालांकि कंपनी प्रतिनिधियों ने उसको चालू हालत में बताया था और यदि कोई कमी हुई तो जल्द ही दूर करवाया जाएगा।
लोगों को करना होगा जागरूक
स्वर्गपुरी श्मशान सेवा समिति के महासचिव संजीव शर्मा व कार्यकारिणी सदस्य सतीश ने बताया कि लकड़ियों का भाव अब करीब 600 रुपए है। लकड़ियों से उठने वाले धुएं से प्रदूषण होता है। पीएनजी वाले श्मशान में संस्कार करने के लोगों को जाग्रत करना होगा।
लकड़ी से संस्कार करवाना पसंद करते हैं लोग
कोरोना काल में नगर निगम कर्मचारियों के साथ मिलकर असंध रोड स्थित दोनों नहरों के बीच स्वर्गपुरी श्मशान में ही सैकड़ों कोरोना संक्रमित मृतकों का संस्कार करने वाले जन सेवादल के चमन गुलाटी ने बताया कि वे जब कोरोना संक्रमित मृतकों का संस्कार करने के लिये स्वर्गपुरी में आते थे तो मृतकों के परिजन लकड़ियों से ही संस्कार करने की मांग करते थे। चमन गुलाटी ने कहा कि हिंदू रीति-रिवाजों में संस्कार के उपरांत अगले दिन अस्थियां उठाने की परंपरा है। लोगों का मानना है कि जब तक अस्थियों को गंगा में प्रवाहित नहीं करते तब तक मृतक को मोक्ष नहीं मिलता।