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हरियाणा की मंडियों में धान की खरीदी चरम पर

9029 करोड़ सीधे किसानों के खातों में, 48 लाख एमटी से अधिक की खरीद

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मंत्री राजेश नागर
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हरियाणा में खरीफ खरीद सीजन 2025-26 ज़ोरों पर है। राज्य सरकार ने अब तक 9029.39 करोड़ रुपये की राशि किसानों के बैंक खातों में सीधे स्थानांतरित (डीबीटी) कर दी है। यह भुगतान धान की सरकारी खरीद के तहत किया गया है, जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का पूरा लाभ बिना देरी के मिल रहा है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजेश नागर के अनुसार, मंडियों में धान की खरीद कार्य सुचारू रूप से जारी है। अब तक 48,44,073 मीट्रिक टन धान की खरीद पूरी की जा चुकी है, जबकि कुल आवक 49,94,349 मीट्रिक टन रही है। विभिन्न एजेंसियों द्वारा 40.22 लाख मीट्रिक टन धान का उठान भी संपन्न किया जा चुका है।

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खरीद प्रक्रिया ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से की जा रही है। अब तक राज्य के 2,52,693 किसानों ने पोर्टल के माध्यम से धान बेची है। सरकार ने सभी खरीद एजेंसियों - हैफेड, वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन और फूड एंड सप्लाई विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी किसान को फसल बेचने में कोई असुविधा न हो।

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एमएसपी पर पूरी अदायगी, कोई कटौती नहीं

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत सरकार द्वारा धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2389 प्रति क्विंटल तय किया गया है और इसमें कोई कटौती नहीं की गई है। भुगतान पूरी तरह प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से किया जा रहा है। विभाग ने सभी मंडियों में बिजली, पेयजल, शौचालय और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।

धान को सुखाकर लाएं किसान

मंडियों का नियमित निरीक्षण भी जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है ताकि किसानों को फसल बेचने में किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसके साथ ही किसानों से अपील की गई है कि वे अपनी धान की फसल को अच्छी तरह सुखाकर ही मंडी में लेकर आएं ताकि 17 प्रतिशत नमी सीमा के भीतर फसल स्वीकार की जा सके और उन्हें सही मूल्य मिले।

आढ़तियों और श्रमिकों को भी लाभ

राजेश नागर ने बताया कि मंडियों में सफाई, भराई, तुलाई, लदाई जैसे कार्यों के लिए तय किए गए मंडी श्रम शुल्कों की अदायगी भी सरकार ही वहन करती है। वहीं, आढ़तियों को अपने स्तर पर फसल की सफाई का कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे खरीद प्रक्रिया तेज़ी से पूरी हो सके। उनका कहना है कि धान की खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी, तेज़ और किसान हितैषी बनाया गया है ताकि हर किसान को उसकी मेहनत का पूरा मूल्य समय पर मिल सके।

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