चंडीगढ़, 2 जुलाई (ट्रिन्यू)
निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले नए छात्रों का एमआईएस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने में स्कूल संचालक उलझ गए हैं। पोर्टल परिवार पहचान पत्र का डाटा उठा रहा है। निजी स्कूल संचालकों द्वारा बच्चों के नाम की एंट्री के दौरान जेनरेट होने वाला वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) अभिभावकों के पास पहुंच रहा है। अनेक अभिभावक स्कूल संचालकों से ओटीपी को साझा करने में गुरेज कर रहे हैं। वहीं किसी अभिभावक का मोबाइल नंबर बदलने से ओटीपी किसी ओर के पास पहुंच रहा है।
आलम यह है कि एमआईएस पोर्टल पर नए छात्रों का रिकार्ड अपलोड करने का सिलसिला बाधित हो रहा है। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल तथा नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस के प्रधान कुलभूषण शर्मा और महासचिव डॉ़ वरुण जैन ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में स्कूल संचालकों के सामने आ रही दुश्वारियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि बच्चों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए सरकारी स्कूलों की तर्ज पर स्कूल मुखिया या संबंधित शिक्षक के पास ही ओटीपी आना चाहिए।
मगर अभी तक ऐसा नहीं हो रहा। साथ ही कोरोना के दौरान दो साल तक बंद रही स्कूल बसों को चलाने की समय-सीमा दो साल और बढ़ाने की मांग की। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित हरियाणा के 14 जिलों में इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन 10 साल और शेष 8 जिलों में 15 साल के लिए होता है। उन्होंने कहा कि दरअसल दो साल तक यह बसें खड़ी रही हैं, इसलिए सरकार आरसी की वैधता को दो साल के लिए बढ़ाकर राहत दे।
सरकार की ओर बकाया एक हजार करोड़ का तुरंत हो भुगतान
प्रधान कुलभूषण शर्मा ने कहा कि नियम 134-ए के तहत सरकार की ओर निजी स्कूलों की करीब एक हजार करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति अभी भी बकाया है। इस राशि का तुरंत भुगतान किया जाए। बकाया के चलते अनेक स्कूलों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने के कगार पर है। प्राइवेट स्कूलों के फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की अवधि 3 साल करने का स्वागत करते हुए कहा कि हर साल फायर सर्टिफिकेट रिन्यू करवाने पर प्राइवेट स्कूलों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से प्राइवेट स्कूल संचालकों की बैठक बुलाकर सभी लंबित मामलों का समाधान कराने का अनुरोध किया है।
‘मान्यता देने संबंधी प्रणाली का हो सरलीकरण’
प्रधान ने निजी स्कूलों को मान्यता देने संबंधी दोहरी प्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे विसंगतिपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि जो विद्यालय हाई स्कूल या सीनियर सेकेंडरी कक्षा की मान्यता चाहता है, उसे पहले आठवीं और फिर हाई स्कूल या सीनियर सेकेंडरी की मान्यता लेनी पड़ती है जो सरासर गलत है। इससे अफसरशाही को बढ़ावा मिलता है। इसका सरलीकरण होना चाहिए। हाई स्कूल, सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को उनके स्तर तक सीधे मान्यता प्रदान की जानी चाहिए।