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Operation Trackdown : हरियाणा में ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’; हर थाना बनाएगा ‘सबसे बदनाम 5’ की सूची, आईजी क्राइम बनाएंगे ‘हंटर टीम’

एसएचओ–डीएसपी पर सीधी जिम्मेदारी; जिलों की निगाह ‘टॉप 10’ पर और एसटीएफ की नजर ‘टॉप 20’ पर

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Operation Trackdown : हरियाणा पुलिस ने एक बार फिर अपराधियों को साफ संदेश दे दिया है- छिपने की जगह अब नहीं बचेगी। राज्यभर में 5 से 20 नवंबर तक ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ चलाया जा रहा है, जिसका मकसद है- गोलीबारी, गैंगवार और संगठित अपराध से जुड़े भगोड़ों को पकड़कर जेल भेजना और आगे किसी भी वारदात को रोकना।

इस अभियान की कमान आईजी क्राइम राकेश आर्य के हाथों में है। वे पूरे ऑपरेशन का समन्वय करेंगे और उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति मोबाइल नंबर 90342-90495 पर अपराधियों की सूचना दे सकता है।

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पुलिस ने साफ किया है कि सूचना देने वाले की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। अभियान की सबसे खास बात है — स्पष्ट जिम्मेदारी। हर थाना अपने क्षेत्र के ‘सबसे बदनाम 5 अपराधियों’ की पहचान करेगा और उन्हें गिरफ्तार या सरेंडर कराने की कार्रवाई करेगा।

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उसी तरह, हर जिला और जोन ‘टॉप 10’ अपराधियों की सूची तैयार करेगा। राज्य स्तर पर एसटीएफ ‘टॉप 20’ की सूची बनाएगी और उन पर व्यापक शिकंजा कसेगी जो एसएचओ या डीएसपी अपने इलाके में ऐसे अपराधियों पर नियंत्रण नहीं रख पाएंगे, उन्हें सीधे जिम्मेदार माना जाएगा।पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट कहा है कि केवल गिरफ्तारी नहीं, बल्कि रोकथाम और कानूनी कार्रवाई दोनों पर बराबर फोकस होगा।

भगोड़ों की जमानत रद्द और संपत्ति जब्ती की तैयारी

जिन अपराधियों की पहचान हो चुकी है लेकिन वे जमानत पर बाहर हैं, उनकी हिस्ट्री शीट फिर से खोली जाएगी।

अगर वे फिर से सक्रिय पाए गए तो उनकी जमानत रद्द कराई जाएगी। पुलिस को आदेश है कि अपराध से जुड़ी संपत्ति चिन्हित करके जब्त करें और जो लोग इन अपराधियों को फंडिंग, संरक्षण या प्रश्रय दे रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई हो। डीजीपी ऑप सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि अब निशाना सिर्फ अपराधी नहीं, पूरा नेटवर्क होगा।

सीमावर्ती राज्यों के साथ संयुक्त अभियान

फरार अपराधियों को पकड़ने के लिए हरियाणा पुलिस अब सीमाएं नहीं देखेगी। पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर के साथ समन्वय कर संयुक्त चेकिंग और हिरासत ट्रांसफर की प्रक्रिया तेज की जाएगी।

‘सबसे बदनाम 20’ अब सिर्फ नाम नहीं, प्राथमिकता सूची

यह सूची किसी औपचारिक दस्तावेज से ज्यादा, कार्रवाई की दिशा तय करने वाला औजार होगी। हर स्तर पर नाम और प्रगति की समीक्षा होगी। किस एसएचओ के इलाके में कौन अपराधी है, कौन गिरफ्तार हुआ, किसकी जमानत रद्द हुई और कहां संगठित अपराध की धाराएं लगीं। 16 दिनों में यही रिपोर्ट कार्ड तय करेगा कि ऑपरेशन कितना सफल रहा।

जनता से सीधा जुड़ाव और सोशल मीडिया संदेश

आईजी क्राइम का नंबर सार्वजनिक करना पुलिस का यह संकेत है कि वह जनसहयोग को मिशन का हिस्सा बना रही है। अभियान के अंत में इस्तेमाल किए गए हैशटैग —#HotOnYourTrail, #NoPlaceToHide, #OperationTrackdown, #कानून_करेगा_अपना_काम सिर्फ नारे नहीं, बल्कि भरोसे और चेतावनी दोनों का प्रतीक हैं।

नतीजे ही होंगे असली पहचान

डीजीपी ने कहा कि ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ का लहजा और तरीका दोनों स्पष्ट हैं — कम बोलो, ज्यादा करो। फोकस इस बार दिखावे पर नहीं, बल्कि नतीजों पर रहेगा। कितने गिरफ्तार हुए, कितनों की जमानत रद्द हुई, कहां संगठित अपराध की धाराएं लगीं, और कितनी संपत्तियां जब्त हुईं। हरियाणा पुलिस का संदेश साफ है कि अब कानून बोलेगा, और बदनामों का वक्त खत्म होने वाला है।

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