रोहतक, 9 दिसंबर (निस)
पीजीआई में रेजिडेंट डाक्टरों व कुलपति के बीच हुई बैठक के बाद डाक्टरों ने एक सप्ताह तक हड़ताल को टाल दिया है। बृहस्पतिवार देर शाम रेजिडेंट डाक्टर काम पर लौट आये, जिससे मरीजों और डाक्टरों ने राहत की सांस ली। चार दिन से चली आ रही हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही थी और मरीजों को पीजीआई से शिफ्ट तक करने की तैयारी तिमारदारों ने कर ली थी।
पीजीआई कुलपति डाक्टर अनिता और रेजिडेंट डाक्टरों से साथ बृहस्पतिवार को बैठक हुई। काफी देर तक चली बैठक में रेजिडेंट डाक्टर एक सप्ताह तक हड़ताल टालने को तैयार हुए।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ ईश्वर सिंह ने बताया कि शुक्रवार से सामान्य तरीके से पहले से ही निर्धारित समय पर ओपीडी चलेगी। बृहस्पतिवार शाम से ही सभी रेजिडेंट चिकित्सक एमरजेंसी व ट्रामा सेंटर सहित सभी विभागों में ड्यूटी पर तैनात हो गए हैं। निदेशक डॉ गीता गठवाला ने कहा कि संस्थान का प्रयास है कि यहां आने वाले मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े इसके लिए वें सभी एकजुटता के साथ कार्य कर रहे हैं। डॉ गीता गठवाला ने कहा कि उन्होंने सिर्फ एक कॉल पर अपनी छुट्टियां रद्द कर तुरंत प्रभाव से मरीजों के हित में ड्यूटी ज्वाइन की, जो मरीजों के प्रति फैकल्टी का सेवाभाव दर्शाता है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार से दोबारा फैकल्टी सदस्यों की छुट्टियां शुरू हो गई है।
सरकारी अस्पतालों में 13 को बंद रहेगी ओपीडी
फरीदाबाद (हप्र) : हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन (एचसीएमएसए) के आह्वान पर डाॅक्टरों ने नागरिक अस्पताल सहित विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी 13 दिसंबर को बंद रखने का फैसला किया है। एचसीएमएसए की जिला इकाई के प्रधान डा.सुशील अहलावत के नेतृत्व में बृहस्पतिवार को चिकित्सकों ने प्रधान चिकित्सा अधिकारी डाॅ़ सविता यादव व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. विनय गुप्ता को ज्ञापन सौंपा। ओपीडी बंद की सूचना आमजन तक पहुंचाने के लिए नागरिक अस्पताल के ओपीडी परिसर और इमरजेंसी में नोटिस भी चस्पा किया गया है। दोनों अधिकारियों को डाक्टरों ने अवगत कराया कि यदि सरकार उनकी मांगों से सहमत नहीं हुई तो 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। डा.सुशील अहलावत ने बताया कि 14 दिसंबर से आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने कई चिकित्सक ऐसे हैं, जो 15-20 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। सरकार उन्हें पदोन्नति देकर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी बनाने की बजाय नई भर्तियां कर रही है, जोकि गलत परंपरा है। एसएमओ के पद पर इनका अधिकार पहले है।