जुलाना/जींद, 12 मई (हप्र)
क्षेत्र में 4 आयुर्वेदिक औषधालयों पर ओपीडी बंद करने के सरकार के फैसले ग्रामीणों पर भारी पड़ रहे हैं। क्योंकि कोरोना काल में ग्रामीण इलाज करवाना पड़ रहा है। क्षेत्र के गांव मालवी, पौली, करेला और लजवाना कलां के आयुर्वेदिक औषधालयों में कार्यरत डॉक्टरों की ड्यूटी कोरोना संक्रमित पाए गए होम आइसोलेट मरीजों की जांच में लगाई गई है। लेकिन इन ग्रामीण दवा लेने के लिए भटक रहे हैं, क्योंकि औषधालयों पर जाकर उन्हें पता चलता है कि दवाई नहीं मिलेगी। मरीजों को बैरंग ही लौटने पर मजबूर होना पड़ रहा है। आजकल हर घर में बुखार के मरीज हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान नही है। विभाग द्वारा औषधालयों में दवाईयां, काढ़े व चवनप्राश आदि तो भेज दिया गया, लेकिन चिकित्सकों के बगैर ये सभी दवाएं जरूरतमंद मरीजों तक नहीं पहुंच पा रही। औषद्यालयों में ओपीडी बंद होने से मरीजों को शहर की ओर रुख करना पड़ रहा है या फिर गांव में मौजूद नीम-हकीमों का सहारा लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
गांव में हर घर में बुखार के मरीज हैं, लेकिन सरकार द्वारा ओपीडी बंद करना मरीजों के साथ अन्याय है। ग्रामीणों की मांग है कि गांव के चिकित्सक को वापस औषधालय में ही रखा जाए ताकि ग्रामीण चिकित्सक के पास जाकर इलाज करवा सकें।
-सुंदर सिंह, सरपंच पौली।
सरकार द्वारा चिकित्सकों की ड्यूटी होम आइसोलेट किए गए मरीजों की देखरेख और सैंपलिंग में लगाई गई है। चिकित्सकों को बाहर भेजे जाने से ओपीडी बंद की गई है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने पिछले साल कोरोना में अहम भूमिका निभाई थी। सरकार द्वारा औषधालयों पर दवाओं का काफी स्टॉक भेजा गया है, लेकिन जब औषधालय पर चिकित्सक ही नहीं होंगे तो दवाएं मरीजों तक कैसे पहुंचेगी।
-डा. सोनिया, चिकित्सक मालवी
आयुर्वेदिक चिकित्सकों की ड्यूटी होम आइसोलेट मरीजों को देखने के लिए लगाई गई है। अगर होम आइसोलेट मरीजों को नहीं देखा जाएगा तो अस्पतालों में भीड़ ज्यादा होगी, जिससे संक्रमण फैसले की संभावनाएं बढ़ जाती है। आयुर्वेदिक अस्पतालों में डिस्पेंसर मरीजों को चिकित्सक की सलाह के बाद दवाएं दे सकता है। चिकित्सकों की ओपीडी सरकार ने बंद कर रखी है।
-डा. नरेश वर्मा, एसएमओ जुलाना