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मुख्यमंत्री रहते नरवाना से हार गए थे ओमप्रकाश चौटाला

भाजपा के कृष्ण बेदी, कांग्रेस के सतबीर दबलैन व इनेलो की विद्या रानी में मुकाबला
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सतबीर दबलैन , कृष्ण बेदी, विद्या रानी दनौदा
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ग्राउंड रिपोर्ट

नरेंद्र जेठी/निस

नरवाना, 3 अक्तूबर

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आरक्षित होने से पहले नरवाना हॉट सीट मानी जाती रही है। वैसे तो यह सुरजेवाला की पारम्परिक सीट रही है। परंतु 1993 के उपचुनाव में जब ओमप्रकाश चौटाला ने यह चुनाव लड़ा तो यह प्रदेश में चर्चित सीट बन गई। आज भी नरवाना का चुनाव कइयों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना है। यहां से कांग्रेस के सतबीर दबलैन, इनेलो-बसपा की संयुक्त प्रत्याशी विद्या रानी दनौदा, भाजपा के कृष्ण बेदी मैदान में है। तीनों के बीच मुकाबला बड़ा ही रोचक बन गया है। चुनाव प्रचार को देखते हुए फिलहाल मुकाबला तीनों के बीच है। यहां से आप प्रत्याशी अनिल रंगा व जजपा से संतोष दनौदा भी मैदान में है। परंतु मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा व इनेलो में ही माना जा रहा है।

वर्ष-2019 के चुनाव में यहां से जजपा के रामनिवास सुरजाखेड़ा विधायक बने थे। रामनिवास सुरजाखेड़ा ने संतोष दनौदा को 30692 के बड़े मार्जन से हराया था। तब कांग्रेस की विद्या रानी दनौदा भी मैदान में थी। उन्हें 14045 मत प्राप्त हुए।

2014 के चुनाव में यहां से इनेलो के पिरथी नंबरदार विधायक बने थे। पिरथी नंबरदार को 72166, भाजपा की संतोष दनौदा को 63014 व कांग्रेस की विद्या रानी दनौदा को 9869 मत प्राप्त हुए थे। इनेलो प्रत्याशी पिरथी नंबरदार ने संतोष दनौदा को 9152 मतों से हराया था। पिरथी नंबरदार लगातार दूसरी बार नरवाना से विधायक चुने गए थे। नरवाना आरक्षित होने के बाद जब पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो आरक्षित क्षेत्र का पहला विधायक बनने का सौभाग्य 2009 में पिरथी नंबरदार को प्राप्त हुआ। उन्होंने कांग्रेस के रामफल लौट को हराया।

प्रचार के लिए कौन-कौन आया

भाजपा के कृष्ण बेदी के लिए यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी, पूर्व सीएम एवं केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, सीएम नायब सिंह सैनी, सांसद नवीन जिंदल आए। जबकि इनेलो की विद्या रानी के लिए इनेलो सुप्रीमो पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला एवं इनेलो प्रधान महासचिव अभय चौटाला व अभय की बहन अंजली चौटाला भी आई। कांग्रेस के सतबीर दबलैन के लिए राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला, सांसद कुमारी शैलजा, विरेंद्र सिंह आए।

नरवाना की पहली महिला विधायक बनेगी!

नरवाना में आरक्षित सीट होने से पहले ज्यादातर चुनावों में पुरुष प्रत्याशी का ही बोल बाला रहा है। परंतु आरक्षित होने के बाद नरवाना से 2014 व 2019 में कांग्रेस व भाजपा दोनों ने महिला उम्मीदवार पर दांव खेला। कांग्रेस ने दो बार विद्या रानी दनौदा व भाजपा ने भी दो बार संतोष दनौदा को नरवाना विधानसभा से मैदान में उतारा। जो जीत हासिल नहीं कर सकी। अब फिर विद्या रानी दनौदा इनेलो से व संतोष दनौदा जजपा से तीसरी बार चुनाव मैदान में है।

2 बार विधायक बने थे ओपी चौटाला

सीएम रहते नरवाना से ओमप्रकाश चौटाला वर्ष-2005 का चुनाव हार गए थे। तब कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें हराया था। ओमप्रकाश चौटाला 1859 मतों से हारे थे। यहां से शमशेर सिंह सुरजेवाला 4 बार विधायक बने, जबकि 2 बार रणदीप सुरजेवाला विधायक रहे। 6 बार सुरजेवाला परिवार यहां से विजयी रहा। जबकि 2 बार ओमप्रकाश चौटाला विधायक बने और 2 बार इनेलो के पिरथी नंबरदार यहां से विधायक बने। शमशेर सिंह सुरजेवाला (1967), नेकीराम (उपचुनाव) (1972), लाला गौरीशंकर (1977), शमशेर सिंह सुरजेवाला (1982), टेकचंद नैन (1987), शमशेरसिंह सुरजेवाला (1991), ओमप्रकाश चौटाला (उपचुनाव) साल-1993, रणदीप सुरजेवाला (1996), ओमप्रकाश चौटाला (2000), पिरथी नंबरदार (2009), पिरथी नंबरदार साल-2014, रामनिवास सुरजाखेड़ा (2019)

जनता पार्टी की लहर में भी जीती थी कांग्रेस

शमशेर सिंह सुरजेवाला

नरवाना विधानसभा के चुनाव में 1977 में जब जनता पार्टी की लहर थी तो हरियाणा में मात्र 3 सीटें ही कांग्रेस जीत पाई थी। तब यहां से कांग्रेस के शमशेर सिंह सुरजेवाला जीतने में कामयाब हुए। इस चुनाव में शमशेर सिंह सुरजेवाला ने निर्दलीय प्रत्याशी टेकचंद नैन को 836 मतों के अंतर से हराया था। सुरजेवाला को 9078 व टेकचंद नैन को 8242 मत प्राप्त हुए थे।

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