चंडीगढ़, 2 अप्रैल (ट्रिन्यू)
एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में प्रदूषण से निपटने के लिए अब हरियाणा की आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कमर कसी है। इस मुद्दे पर पूरी ब्यूरोक्रेसी एक प्लेटफार्म पर आ गई है। प्रदूषण के शहरीकरण पर पड़ रहे असर पर चर्चा और इससे निपटने की रणनीति तैयार करने के लिए शनिवार को चंडीगढ़ में एसोसिएशन की ओर से सेमिनार आयोजित की गई। इसमें विषय विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और अधिकारियों ने अपने सुझाव साझा किए।
एसोसिएशन के चेयरमैन व प्रदेश के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने इस मौके पर कहा, यह सेमिनार न केवल प्रशासनिक अधिकारियों और विशेषज्ञों को अपनी विशेषज्ञता साझा करने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगी बल्कि अभिनव उपायों के लिए विचार-विमर्श की भावना को भी प्रबल करेगी। उन्होंने कहा, कोविड-19 के चलते लगभग दो वर्षों बाद इस सेमिनार के जरिये सभी अधिकारी एक मंच पर इकट्ठा हुए हैं।
एनसीआर और निकटतम क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष डॉ़ एमएम कुट्टी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पी़ राघवेंद्र राव और एनआईयूए के पूर्व निदेशक प्रो. जगन शाह और एसोसिएशन के सदस्यों ने हिस्सा लिया। कौशल ने कहा, सेमिनार का विषय निसंदेह काफी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विषय विशेषज्ञों द्वारा साझा किए गए सुझावों के बूते इस वैश्विक समस्या से निपटा जा सकता है।
पर्यावरण योजनाओं काे लागू करने पर हो ध्यान
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पी. राघवेंद्र राव ने कहा कि युवा अधिकारी वायु गुणवत्ता से संबंधित रणनीतियों, नियमों और विनियमों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए सहमति आधारित प्रबंधन प्रत्येक अधिकारी के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन जाता है। राव ने कहा, प्रत्येक अधिकारी को जिला पर्यावरण योजनाओं का सार्थक क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए। सेमिनार में एनआईयूए निदेशक प्रोफेसर जगन शाह ने वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य प्रभावों तथा ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट पर एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया।
प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन के प्रयासों की सराहना
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष डॉ. एमएम कुट्टी ने हरियाणा के फसल अवशेष प्रबंधन के प्रयासों की सराहना की। सरकार ने पराली जलाने पर अंकुश लगाया हुआ है। इसी तरह से धान की परंपरागत फसलों की बजाय किसानों को दूसरी फसलों के प्रति आकर्षित करने के लिए शुरू की गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना भी प्रदूषण रोकने में अहम भूमिका निभाएगी। डॉ. कुट्टी ने अधिकरियों को कहा कि वे योजना का व्यापक विस्तार सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों के साथ एक जन जागरूकता अभियान भी शुरू किया जाना चाहिए ताकि इस विषय पर जागरूकता पैदा की जा सके। उन्होंने वायु गुणवत्ता सूचकांक को बनाए रखने के लिए व्यापक पौधरोपण अभियान शुरू करने के लिए भी राज्य की सराहना की। पानीपत में टूजी एथेनॉल प्लांट भी पराली उपयोग में अग्रणी साबित होगा।