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आजकल ब्रह्मसरोवर तट पर सिमट आया है लघु भारत

कुरुक्षेत्र में सरस और शिल्प मेले के 9वें दिन काफी संख्या में पहुंचे पर्यटक

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कुरुक्षेत्र में ब्रहमसरोवर पर रविवार को सरस मेले में पहुंचे लोग। हप्र
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अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान ब्रह्मसरोवर के तट पर देश की सांस्कृतिक विरासत को एक जगह देखने का अवसर पर्यटकों को लघु भारत के दर्शन करा रहा है। विभिन्न राज्यों की संस्कृति को एक जगह पर संजोकर यह महोत्सव अपनी अलग पहचान बना चुका है। देश की सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने और पवित्र ग्रंथ गीता की नगरी को देखने के लिए रोजाना काफी संख्या में पर्यटक महोत्सव में पहुंच रहे हैं।

महोत्सव के 9वें दिन रविवार को सुबह से ही पर्यटक सरस और शिल्प मेले में खरीदारी करने के लिए पहुंच गए। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे-वैसे पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ती रही।

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इस महोत्सव में पर्यटकों को देश के हर राज्य की लोक कलाओं और संस्कृति को आत्मसात करने का अवसर मिल रहा है। इस वर्ष उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला की तरफ से हिमाचल प्रदेश के कलाकार पूजा और घट नृत्य, जम्मू कश्मीर के कलाकार धमाली नृत्य व भद्रवाही कुड व रुमाली नृत्य, पंजाब का झूमर व मालवाई गिद्दा, राजस्थान का चारी, उत्तराखंड के कलाकार पांडव नृत्य, मध्य प्रदेश का गंगौर व पांथी नृत्य, झारखंड का पायका नृत्य, ओडिशा का संभालपुरी नृत्य सहित राजस्थान के कच्ची घोड़ी नृत्य, ढेरु गाथा गायन आदि की शानदार प्रस्तुति दे रहे हैं।

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इसके साथ-साथ पंजाब का बाजीगर ग्रुप भी पर्यटकों को अपने मोहपाश में बांधने का काम कर रहा है। महोत्सव के अंतर्गत रविवार को अभिमन्युपुर स्थित अदिति वन सूर्यकुंड तीर्थ पर नटराज संगीत एवं नृत्य विद्यालय द्वारा कत्थक नृत्य नाटिका द्रौपदी की प्रस्तुति दी गई। कलाकारों ने कत्थक के माध्यम से द्रौपदी चीर हरण का मार्मिक चित्रण कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया। देव सक्सेना के निर्देशन में हुई इस नाटिका में कलाकारों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। यह प्रस्तुति हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित करवाई गई।

इस आयोजन के लिए बाबा विप्रदास ने हरियाणा कला परिषद और विशेष तौर पर नागेंद्र शर्मा का आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर अदिति वन सूर्यकुण्ड समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेश चौहान, सचिव डॉ. मोहन लाल, कोषाध्यक्ष डॉ. हरिचरण शर्मा, शीशपाल गुप्ता, सुभाष टामक, अश्विनी शर्मा सहित काफी संख्या लोग उपस्थित रहे।

विभिन्न राज्यों के लोक नृतक बन रहे मेले की जान

महोत्सव में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों द्वारा लोक नृत्य की प्रस्तुति देश की महान संस्कृति के दर्शन करवाए जा रहे हैं। इन लोक कलाकारों ने भगवान की आराधना के साथ-साथ विभिन्न त्योहारों पर गाए जाने वाले गीतों और नृत्य के दौरान दर्शकों को बांधे रखा। हिमाचल के लोक कलाकारों ने पूजा और घट नृत्य के माध्यम से पर्यटकों का खूब मनोरंजन किया और हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण जीवन स्तर को दर्शाने का प्रयास किया। एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र ने कहा की विभिन्न राज्यों के कलाकार इस महोत्सव में सालों से लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर अलग-अलग राज्यों से पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला भी पर्यटकों को सम्मोहित कर रही है। 5 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला उनकी मेहनत को प्रदर्शित कर रही है।

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