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अब मंत्रियों के कारण रद्द नहीं होंगी ग्रीवेंस कमेटी की बैठक, उपायुक्तों को दिए अधिकार

हरियाणा सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में होने वाली जिला शिकायत निवारण समितियों की बैठक का माह में एक बार आयोजन अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने इन बैठकों के आयोजन को लेकर नियमों में बदलाव...
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हरियाणा सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में होने वाली जिला शिकायत निवारण समितियों की बैठक का माह में एक बार आयोजन अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने इन बैठकों के आयोजन को लेकर नियमों में बदलाव भी किया है। सरकार द्वारा राज्य के 22 जिलों में मंत्रियों को जिला प्रभारी नियुक्त किया है। मंत्री हर माह संबंधित जिले में जाकर बैठकों का आयोजन करके लोगों की शिकायतें सुनते हैं और उनका मौके पर ही समाधान करते हैं।

प्रदेश में यह परंपरा वर्ष 2012 से चली आ रही है। इस मामले में मंत्रियों को उनके गृह जिलों से हटकर दूसरे जिले अलाट किए जाते हैं। अकसर देखने में आया है कि कई मंत्री मासिक बैठकों में भाग नहीं ले पाते हैं। इसके चलते अंतिम समय में बैठक को रद्द कर दिया जाता है। पूर्व में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां अधिकारियों द्वारा बैठक में शामिल करने के लिए शिकायतों को सूचीबद्ध किया जाता है लेकिन जिला प्रभारी मंत्री के न पहुंचने के कारण बैठक नहीं हो पाती है।

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ऐसे में शिकायत की वास्तविकता भी खत्म हो जाती है और लोगों में सरकार के प्रति रोष पनप रहा है। इस विवाद को शांत करते हुए सरकार ने बृहस्पतिवार से नए नियम लागू कर दिए हैं। मुख्य सचिव द्वारा प्रदेश के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों, मंडल आयुक्तों, जिला उपायुक्तों तथा पुलिस अधीक्षकों के नाम पर जारी निर्देश में कहा गया है कि महीने में एक बार जिला शिकायत निवारण कमेटी की बैठक का आयोजन करना अनिवार्य होगा।

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