दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 9 जुलाई
हरियाणा की बेटियों को अब ड्राइविंग में दक्ष बनाया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत काम कर रहे हरियाणा महिला विकास निगम ने यह कार्यक्रम शुरू किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत पांच जिलों से होगी। कुल पांच बैच होंगे और हर बैच में पंद्रह बेटियां। यानी पहले 75 महिलाएं ड्राइविंग में ट्रेंड बनेंगी, फिर योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। योजना केवल बीपीएल परिवार की बेटियों/महिलाओं के लिए होगी। खर्च सरकार वहन करेगी। ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि योजना आत्मनिर्भरता के नए रास्ते खोलेगा। कई मुल्कों में भी ड्राइवरों की बड़ी डिमांड है। इस प्रोग्राम में भाग लेने के लिए महिलाओं को हरियाणा महिला विकास निगम की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
योजना का मकसद बीपीएल परिवार की बेटियों को आर्थिक रूप से मजबूत करना है। सेंट्रल मोटर व्हिकल रूल्स-1989 के तहत ट्रेनिंग पीरियड कम से कम 21 दिन का होगा और इस दौरान कम से कम 20 घंटों तक ट्रेनिंग होगी। इसमें 10 दिन थ्योरी के और 11 दिन प्रेक्टिकल के होंगे। सरकार के ही वाहनों पर उन्हें ट्रेनिंग मिलेगी। अनिवार्य है कि सीखने वाले के पास लर्निंग लाइसेंस हो। उम्र सीमा 18 ये 45 वर्ष। शैक्षिक योग्यता कम से कम 12वीं पास। ज्यादा पढ़ी-लिखी बेटियों को प्राथमिकता दी जाएगी। पहले चरण में बहादुरगढ़ और रोहतक में मारुति सुजुकी और कैथल में अशोका लेलैंड के ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में बेटियों को ट्रेंड किया जाएगा। ये सेंटर सरकार के अधीन हैं।
सेल्फ डिफेंस भी सीखेंगी बेटियां : ड्राइविंग के साथ बेटियों को सेल्फ डिफेंस की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। हरियाणा पुलिस अकादमी, मधुबन के सहयोग से विभाग बेटियों को आत्मरक्षा में भी सक्षम बनाएगा। इतना ही नहीं, ट्रेनिंग पूरी करने वाली बेटियों को हरियाणा मातृशक्ति उद्यमिता योजना के तहत लोन भी दिलाया जाएगा ताकि वे इस प्रोफेशन में आगे बढ़ सकें।
हॉस्टल सुविधा भी मिलेगी : ट्रेनिंग में शामिल होने वाली बेटियों को विभाग की ओर से हॉस्टल सुविधा भी मुहैया करवाई जाएगी। ट्रेनिंग करने वालों का चयन कमेटी करेगी। आईसीडीएस के प्रोग्राम ऑफिसर, हरियाणा महिला विकास निगम के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर के अलावा डिस्ट्रिक्ट लाइसेंसिंग अथाॅरिटी और ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल के प्रतिनिधि वाली यह कमेटी आवेदनों पर विचार करेगी।