चंडीगढ़, 8 जुलाई (ट्रिन्यू)
महिला एवं बाल विकास विभाग ने बीते समय में हड़ताल पर जाने और विभागीय योजनाओं में बाधा उत्पन्न होने के बाद बर्खास्त हुई आंगनबाड़ी सहायिकाओं पर नरम रुख अपनाते हुए बहाली प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग द्वारा 16 जिलों में 249 आंगनबाड़ी सहायिकाओं को बहाल कर दिया गया है और अन्य सहायिकाओं की बहाली प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नवंबर 2021 में अपनी मांगों को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सहायिकाएं हड़ताल पर चली गई थीं। इसके बाद 29 दिसंबर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने अधिकारियों के साथ विभिन्न यूनियनों से मुलाकात करते हुए कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के हित में निर्णय लिए। बावजूद इसके कुछ यूनियन द्वारा हड़ताल को खत्म करने की बजाय जनवरी से लेकर अप्रैल के पहले सप्ताह तक चलाया गया। वहीं जिला स्तर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा नोटिस प्रक्रिया अपनाते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं को बर्खास्त किया गया। इसके बाद हड़ताल को खत्म करने की सहमति बनने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने बर्खास्त को बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक हेमा शर्मा ने बताया कि विभाग ने आंगनबाड़ी सहायिकाओं को बहाल करने की प्रक्रिया को शुरू करते हुए विधवा एवं तलाकशुदा सहायिकाओं को प्राथमिकता दी गई है। पहले चरण में 16 जिलों में 249 आंगनबाड़ी सहायिकाओं को बहाल कर दिया गया है और सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को उन्हें विभागीय प्रक्रिया पूरी करते हुए ड्यूटी जॉइन करवाने के आदेश दिए गए हैं। भिवानी में 24, चरखी दादरी में 17, फरीदाबाद में 3, फतेहाबाद में 7, गुरुग्राम में 3, हिसार में 13, जींद में 19, कैथल में 14, करनाल में 72, महेंद्रगढ़ में 3, पानीपत में 1, रेवाड़ी में 34, रोहतक में 11, सिरसा में 5, सोनीपत में 2 तथा यमुनानगर में 21 सहायिकाओं को बहाल किया है।
‘हड़ताल के दौरान बर्खास्त की गई आंगनबाड़ी सहायिकाओं को बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसमें विधवा एवं तलाकशुदा को सहानुभूति आधार पर पहले बहाल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भी चाहते हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सहायिकाओं की चिंताओं का निवारण किया जाए। यही नहीं, हड़ताल के दौरान दर्ज हुई एफआईआर और अदालत में पहुंचे मामलों को लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारियों से रिपोर्ट मंगवाई गई है ताकि केस के आधार पर उनका भी निवारण हो सके।’
-कमलेश ढांडा, महिला एवं बाल विकास मंत्री