अब नियम तोड़ने वालों पर सख्त होगी कार्रवाई
एचएसवीपी की संशोधित नीति में उन आवंटियों के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं, जो बाद में अपनी संपत्ति सरेंडर करना चाहते हैं। पहले एक वर्ष के भीतर सरेंडर करने पर बोली राशि का 15 प्रतिशत जब्त होगा। एक से दो वर्ष के बीच सरेंडर करने वालों के लिए यह 25 प्रतिशत होगा। दो से तीन वर्ष के बीच संपत्ति छोड़ने पर 35 प्रतिशत कटौती की जाएगी। वहीं तीन साल बाद छोड़ी गई संपत्ति पर आवंटन मूल्य का 50 प्रतिशत तक नुकसान झेलना पड़ेगा। इन प्रावधानों का मकसद उन निवेशकों को रोकना है जो केवल सट्टा या कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने के लिए नीलामी में हिस्सा लेते हैं।
भुगतान के नए विकल्प, लेकिन सख्त शर्तों के साथ
अब से हर आवंटी को नीलामी के बाद 10 प्रतिशत अग्रिम भुगतान के 30 दिन के भीतर अतिरिक्त 15 प्रतिशत राशि जमा करनी होगी। आवासीय, बूथ, कियोस्क और छोटे व्यावसायिक प्लॉट के लिए शेष 75 प्रतिशत राशि 120 दिनों के भीतर चुकानी होगी। ग्रुप हाउसिंग और मल्टी-स्टोरी अपार्टमेंट जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स को शेष भुगतान के लिए अतिरिक्त 120 दिन की छूट दी जाएगी, लेकिन यह सुविधा केवल 13 मई 2025 तक देय मामलों में ही मान्य होगी।
जुर्माने की गणना में भी पारदर्शिता
यदि दोबारा नीलामी में नई बोली पुरानी से अधिक लगती है और नया खरीदार समय पर भुगतान करता है, तो पहले आवंटी की जमा राशि (बयाना छोड़कर) वापस कर दी जाएगी। लेकिन अगर नई बोली कम लगती है, तो पुराने आवंटी की 10 फीसदी राशि या नई-पुरानी बोली के अंतर का छोटा हिस्सा जब्त कर लिया जाएगा। इस पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।