दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 15 फरवरी
हरियाणा की जेलों में बंद कैदियों व बंदियों को अब सुनवाई के लिए कोर्ट में नहीं ले जाया जाएगा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई पर जोर रहेगा। इसकी शुरुआत जेलों में हो चुकी है, लेकिन पूरी तरह से अमल के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सहमति अनिवार्य है। प्रदेश के गृह सचिव राजीव अरोड़ा तथा जेल विभाग के महानिदेशक मोहम्मद अकील इसके लिए हाईकोर्ट के साथ समन्वय करेंगे।
सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इसके लिए दोनों अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान हार्डकोर क्रिमिनल के बीच गैंगवार की आशंका व पुरानी घटनाओं को देखते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करवाने पर सरकार सहमत हुई है। इस प्रक्रिया पर पुलिस विभाग का सालाना करीब 25 करोड़ रुपए खर्चा भी होता है। रविवार को नूंह में प्रदेशभर के जेल अधिकारियों के साथ सीएम मनोहर लाल खट्टर की बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई।
प्रदेश की अधिकांश जेलों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा है। अब इसमें और सुधार के लिए नये उपकरणों की खरीद को सीएम ने मंजूरी दी है। नूंह में नई जेल की शुरुआत के बाद प्रदेश में जेलों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। जेलों का नाम बदलने का निर्णय भी बैठक में हुआ है। सुधार गृह जैसा नाम जेलों का रखा जाएगा। जेल विभाग की ओर से इसके लिए प्रस्ताव तैयार करके सरकार को भेजा जाएगा। इसके बाद विधानसभा में बिल लाकर इसके लिए एक्ट बनेगा।
यहां बता दें कि राज्य की जेलों में साढ़े 24 हजार के करीब कैदी/बंदी हैं। इनमें से छह हजार के लगभग कैदी और साढ़े 18 हजार के करीब बंदी हैं, जो अंडर ट्रायल हैं। लगभग छह घंटे चली जेल अधिकारियों की यह पहली बैठक थी, जिसमें सीएम ने इतना समय दिया। बैठक में सीएम ने कहा कि वे हर साल प्रदेश की किसी एक जेल में सभी जेल अधिकारियों की बैठक लेंगे। हर साल सबसे अच्छा काम करने वाली प्रदेश की एक जेल को सम्मानित किया जाएगा। इतना ही नहीं, अच्छी परफोरमेंस वाली जेल अधिकारियों को भी सरकार अवार्ड देगी।
बैठक में जेल अधिकारियों की सिक्योरिटी का मुद्दा भी उठा। हिसार में डिप्टी सुपरिटेंडेंट के अलावा कई सिपाहियों का मर्डर हो चुका है। जेल के कई अधिकारियों को बदमाशों द्वारा धमकियां दी जा चुकी हैं। सीएम ने गृह विभाग के अधिकारियों को इस दिशा में कदम उठाने को कहा है। गृह विभाग जेल अधिकारियों की सिक्योरिटी की समीक्षा कर सीएम को रिपोर्ट सौंपेंगे। जेल अधीक्षक व उपाधीक्षक को वर्दी भत्ता मिलेगा और अब वे वर्दी में ड्यूटी देंगे।
गाड़ी के साथ मोबाइल सुविधा भी
प्रदेश के सभी जेल अधीक्षकों को सरकार की ओर से गाड़ी मुहैया करवाई जाएगी। वर्तमान में किसी भी जेल अधीक्षक के पास सरकारी गाड़ी नहीं है। जेल अधीक्षकों व उपाधीक्षकों को सरकार मोबाइल फोन भी उपलब्ध करवाएगी। मोबाइल फोन मुहैया करवाने का आग्रह सीएम के एडवाइजर अनिल राव ने किया था। इस पर सीएम ने तुरंत सहमति दी। बैठक में जेलों के लिए अलग से इंटेलिजेंस विंग बनाने का निर्णय लिया गया। खुफिया विभाग के दो से तीन अधिकारियों को जेलों में तैनात किया जाएगा। वे कैदियों व बंदियों के अलावा जेल स्टाफ पर भी नजर रखेंगे।
जेल मंत्री ने बनाई थी कमेटी
जेलों में सुधार के लिए जेल मंत्री रणजीत सिंह ने वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी गठित की थी। कमेटी ने 15 बिंदुओं पर काम किया और अपनी रिपोर्ट जेल मंत्री को सौंपी। जेल मंत्री ने इस रिपोर्ट पर सीएम से चर्चा की। इसके बाद ही नूंह में जेल अधिकारियों के साथ बैठक का निर्णय लिया गया। अधिकारियों द्वारा की गई अधिकांश सिफारिशों को सीएम ने मंजूरी दी है।
जेलों में सुधार व सुविधाओं को लेकर जितने भी मुद्दे सीएम के सामने रखे गए, उन्होंने सभी पर मुहर लगा दी। बंदियों के जीवन में सुधार लाया जाएगा। जेल अधिकारियों को कई तरह की नई सुविधाएं मिलेंगी। बंदियों व कैदियों के खाने के अलावा रहन-सहन में सुधार होगा। प्रदेश की सभी जेलों को आधुनिक बनाया जाएगा।
-रणजीत सिंह, जेल मंत्री