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अब रेटिना और फेस स्कैनिंग से होगी कैदियों की पहचान

हरियाणा की जेलों में हाईटेक क्रांति, सभी जिलों में लागू होगा यूनिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम
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हरियाणा की जेल व्यवस्था अब तकनीकी और सुरक्षा के मामले में देश में नये मानक स्थापित करने जा रही है। राज्य सरकार ने कैदियों के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम लागू करने का बड़ा कदम उठाया है। इस प्रणाली में रेटिना और फेस स्कैनिंग तकनीक को मुख्य आधार बनाया गया है। इससे जेल में किसी भी कैदी की पहचान तुरंत की जा सकेगी।

पुराने फिंगरप्रिंट आधारित सिस्टम की तुलना में यह लेटेस्ट बायोमैट्रिक तकनीक कई गुना अधिक सटीक और भरोसेमंद है। डीजी जेल आलोक कुमार रॉय के अनुसार, किसी भी अपराधी का शरीर का कोई भी हिस्सा अगर सीसीटीवी में कैद हो जाता है तो उसका मिलान तुरंत किया जा सकेगा। इस डेटा का उपयोग स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से लिंक करके अपराधियों की ट्रैकिंग और अपराध रोकथाम में किया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार की यह पहल जेलों में सुरक्षा और निगरानी के मानक को ऊंचा करेगी। रेटिना और फेस स्कैनिंग जैसी हाईटेक तकनीक न केवल अपराधियों की पहचान को तेज और सटीक बनाएगी, बल्कि जेल प्रबंधन को भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने में मदद करेगी।

हाई सिक्योरिटी जेल तैयार

रोहतक में हाई सिक्योरिटी जेल लगभग तैयार है। अगले तीन-चार महीनों में पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगी और इसमें आधुनिक गैजेट्स और सुरक्षा प्रणालियां रहेंगी। इससे कैदियों का किसी भी तरह का बाहरी संपर्क पूरी तरह रोका जा सकेगा। आलोक रॉय ने बताया कि चरखी दादरी, फतेहाबाद और पंचकूला में भी जेल निर्माण के लिए जमीन चिह्नित की जा चुकी है। जल्द ही काम शुरू होगा।

कामयाब रही ओपन जेल

जेल विभाग ने ट्रायल के तौर पर फरीदाबाद और करनाल में ‘ओपन जेल’ का कॉन्सेप्ट शुरू किया। विभाग का मानना है कि यह पूरी तरह से कामयाब रहा। हालांकि, यह सुविधा केवल उन कैदियों के लिए ही है, जिन्हें कम जोखिम की कैटेगरी में रखा गया है। हार्डकोर अपराधियों के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। जेलों में करीब 26,000 कैदी हैं, जबकि कुल क्षमता केवल 22,000 है। डीजी रॉय ने कहा कि नई जेलों के निर्माण के बाद यह संख्या संतुलित हो जाएगी और कैदियों को क्षमता के अनुसार रखा जाएगा।

वर्दी और बैज विवाद पर क्या बोले डीजी

पुलिस और जेल विभाग में चल रहे वर्दी और बैज को लेकर विवाद पर डीजी रॉय ने कहा कि यह मामला नियमों और गाइडलाइंस के तहत सुलझाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजपत्रित अधिकारियों की यूनियन नहीं होती। उनसे अनुशासन की पूरी उम्मीद की जाती है। इस मामले में जो भी प्वाइंट उठाए जाएंगे, उन्हें विशेषज्ञ डेस्क द्वारा नियमों और अन्य बलों के उदाहरणों के आधार पर देखा जाएगा।

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