अब आसानी से मिल सकेगी गरीब कैदियों को जमानत!
जिला स्तर पर बनेगी कमेटी, जिला मजिस्ट्रेट भी होंगे शामिल
हरियाणा के उन गरीब कैदियों व बंदियों के लिए अच्छी खबर, जो पैसे के अभाव में जमानत भी नहीं ले पाते। अदालतों द्वारा लगाए गए जुर्माना नहीं भरने की वजह से भी कैदियों को समय से अधिक समय तक जेल में सजा काटनी पड़ती है। ऐसे कैदियों को अब आर्थिक मदद मिलेगी। केंद्र सरकार की ‘गरीब कैदियों की सहायता’ योजना के तहत यह मदद मिलेगी।
गृह, जेल, आपराधिक जांच एवं न्याय प्रशासन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ़ सुमिता मिश्रा ने गरीब कैदियों के लिए न्याय और मानवीय सहायता तक समान पहुंच सुनिश्चित करने हेतु हरियाणा के सभी ज़िलों में 'गरीब कैदियों को सहायता योजना' के तत्काल और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) पर अमल करते हुए डॉ. मिश्रा ने हरियाणा के कारागार महानिदेशक, सभी उपायुक्तों और सभी ज़िला मजिस्ट्रेटों को योजना के अनुरूप सक्रिय और समय पर कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक ज़िले में जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। इसमें ज़िला मजिस्ट्रेट, ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, पुलिस अधीक्षक, संबंधित जेल के अधीक्षक/उपाधीक्षक और ज़िला न्यायाधीश द्वारा नामित संबंधित जेल के प्रभारी न्यायाधीश शामिल होंगे। यह समिति उन गरीब कैदियों की पहचान, मूल्यांकन और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी जो ज़मानत पाने या जुर्माना भरने में असमर्थ हैं।
डॉ़ मिश्रा ने बताया कि निष्पादन को मज़बूत बनाने के लिए प्रत्येक समिति एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगी और नागरिक समाज के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता या ज़िला परिवीक्षा अधिकारी के साथ सहयोग कर सकती है। ये हितधारक मामले की प्रक्रिया में सहयोग करेंगे। यह सुनिश्चित करेंगे कि पात्र कैदियों तक समय पर राहत पहुंचे। कारागार विभाग और सभी ज़िला मजिस्ट्रेटों को अधिकार प्राप्त समितियों की नियमित बैठकें करने को कहा है।
इसी तरह से कमेटियों को जेलों का दौरा करने, जेल कर्मचारियों और कैदियों के बीच योजना के बारे में जागरूकता फैलाने और लाभार्थियों की सटीक सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। डॉ़ मिश्रा ने इस बात पर बल दिया कि राहत सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसका ठोस मानवीय प्रभाव होना चाहिए। इससे केवल गरीबी के कारण जेल में बंद लोगों को सम्मान, निष्पक्षता और दूसरा मौका मिल सके। सभी उपायुक्तों को 15 दिनों के भीतर विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया है।