नरेंद्र ख्यालिया/निस
हिसार, 16 जून
अब शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाएगा। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने इस पर तुरंत प्रभाव से पाबंदी लगा दी है और इसके लिए जिला व खंड शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है। अब शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेने पर कार्रवाई तय की गई है। इस संबंध में शिक्षा अधिकारियों से 7 दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की गई है।
प्रदेशभर के जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों (डीईईओ) व खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को निर्देशित किया है कि अध्यापन कार्य करवाने वाले शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम न लिया जाए। निदेशक मौलिक शिक्षा के संज्ञान में आया है कि कुछ अध्यापक विद्यालयों में अध्यापन कार्य न करके जिला शिक्षा अधिकारी/खंड शिक्षा अधिकारी या फिर अन्य कार्यालयों मे अपनी सेवाएं गैर शैक्षणिक कार्यों में दे रहे हैं। अधिकारियों के इस कदम से विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा शिक्षक के अध्यापक की कार्यकुशलता के स्तर में भी गिरावट आ रही है। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की धारा 27 के अनुसार अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता। निदेशालय ने कहा कि यदि कोई भी शिक्षा अधिकारी शिक्षकों से गैर शिक्षण कार्य लेते पाया गया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
फैसला बच्चों के हित में
डीईईओ धनपत राम ने कहा कि निदेशालय ने बच्चों के हित में बहुत अच्छा फैसला लिया है। जिला के शिक्षा अधिकारी व खंड कार्यालयों में शिक्षकों से कोई गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाएगा और इसकी दृढता से पालना की जाएगी।