ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 7 मई
हरियाण स्टेट को-ऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फैडरेशन लिमिटेड (हैफेड) अब मार्केट में नये उत्पाद उतारने की तैयारी में है। हैफेड द्वारा अपने रिटेल स्टोर प्रदेशभर में खोल जा रहे हैं। अब घरों में रोजमर्रा से जुड़ी हर प्रकार की खाद्य सामग्री हैफेड में उपलब्ध होगी। दालों और मल्टीग्रेन आटा भी लाने की तैयारी है। दरअसल, हैफेड का मुनाफा बढ़ाने के लिए इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं।
इस बार मंडियों में गेहूं की आवक कम होने की वजह से हैफेड को 30 करोड़ रुपये के करीब का नुकसान हुआ है। हालांकि केंद्र सरकार को हैफेड में गेहूं की कम खरीद के चलते 60 करोड़ के करीब का मुनाफा ही हुआ है। हैफेड ने इस घाटे को पूरा करने के लिए नये सिरे से योजना बनाई है। इस साल हैफेड द्वारा 17 लाख 42 हजार मीट्रिक टन के करीब गेहूं की खरीद की गई है। यह करीब पचास प्रतिशत कम है। पिछले साल हैफेड ने 34 लाख टन के लगभग गेहूं मंडियों से खरीदा था।
खरीद पर कमीशन, गोदाम में स्टोरज आदि से हैफेड को कमाई होती है लेकिन इस बार गोदाम खाली हैं। ऐसे में इसकी भरपाई के लिए अब चना की भी खरीद हैफेड कर रहा है। सरसों भी खरीदी जा रही है ताकि तेल की सप्लाई रुके नहीं। हैफेड की खुद की तेल मील हैं। हैफेड द्वारा खरीदा गया गेहूं विदेशों में भी सप्लाई होता है। इतना ही नहीं, चावल की विदेशों में बिक्री अब फिर से शुरू हो गई है। बीच में इसमें बाधा उत्पन्न हुई थी।
हैफेड द्वारा सऊदी अरब में 70 करोड़ रुपये के करीब के चावल अभी तक भेजे जा चुके हैं। 80 करोड़ से अधिक की कंसाइनमेंट अभी जाने वाली है। हैफेड चेयरमैन कैलाश भगत का कहना है कि कमर्शियल परचेज हैफेड ने शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हैफेड को स्पष्ट तौर पर कहा हुआ है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए वे जो कदम उठा सकते हैं, उठाएं। इसलिए किसानों से गेहूं के अलावा धान, बाजरा, चना आदि की खरीद की जा रही है।
हर आइटम होगा स्टोर में
चेयरमैन कैलाश भगत ने कहा कि एमएसपी पर बिकने वाली अधिकांश फैसलों की खरीद हैफेड करेगा। रेवाड़ी व नारनौल में चने और सरसों की खरीद के लिए कहा गया है। इससे पहले हैफेड ने बाजरा भी खरीदा था। उन्होंने कहा कि फार्टिफाइड आटा और दालें भी अब हैफेड के स्टोर पर उपलब्ध होंगी। कोशिश यही है कि घरेलू हर प्रकार की आइटम हैफेड के स्टोर पर हो। हैफेड स्टोर के जरिये न केवल युवाओं को रोजगार मिल रहा है बल्कि इससे किसानों को भी फायदा हो रहा है।