सुल्तानपुर व कलेसर नेशनल पार्क में फोटाेग्राफी पर अब लगेगी फीस
सुल्तानपुर बर्ड सेंक्चुरी और कलेसर फॉरेस्ट में अब पर्यटकों के लिए बहुत कुछ नया होने वाला है। बेशक, सरकार ने फोटोग्राफी सहित कई पर्यटन गतिविधियों के लिए शुल्क तय कर दिया है, लेकिन अधिकारियों का दावा है कि इससे जहां पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, वहीं पर्यटन केंद्रों के विकास और संरक्षण कार्यों को भी गति मिलेगी।
गुरुग्राम स्थित सुल्तानपुर नेशनल पार्क में आने वाले प्रवासी पक्षियों और उन्हें देखने के लिए जुटने वाले सैकड़ों पर्यटकों पर नयी व्यवस्था का सीधा असर पड़ेगा। अब प्रवेश शुल्क तय कर दिया गया है। भारतीय वयस्कों के लिए 50 रुपये, बच्चों के लिए 30 और विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रुपये। पार्क में कैमरा लेकर आने वाले पर्यटक को 50 रुपये और फिल्मांकन करने वाले दल को 2500 रुपये (विदेशियों के लिए 5000 रुपये) चुकाने होंगे। यमुनानगर का कलेसर नेशनल पार्क, जहां हाथियों और बाघों की आवाजाही जंगल सफारी पर्यटकों को आकर्षित करती है, वहां भी नये नियम लागू होंगे। अब हर वाहन पर 100 रुपये का शुल्क लगेगा और सफारी वाहनों की संख्या नियंत्रित की जाएगी। अभी तक फिल्मांकन के लिए आसानी से अनुमति मिल जाती थी, लेकिन अब पहले से आवेदन और शुल्क जरूरी होगा। सुल्तानपुर और कालेसर के अलावा, बिर शिकारगढ़, नाहर और मोरनी के जंगलों में भी नयी व्यवस्था लागू होगी। वहां स्थानीय ग्राम पंचायतों को रिपोर्टिंग और निगरानी में शामिल करने की तैयारी है। माना जा रहा है कि इससे ग्रामीण स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
पक्षियों पर कर सकेंगे अध्ययन : नये नियमों के तहत शोधकर्ता और संस्थान यदि किसी पक्षी या वन्य जीव पर अध्ययन करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले अनुमति लेनी होगी और निर्धारित शुल्क देना होगा। विशेष परियोजनाओं के लिए 5000 रुपये तक का प्रावधान किया गया है। इससे अनुसंधान गतिविधियां अधिक व्यवस्थित होंगी और डेटा संग्रहण भी नियंत्रित ढंग से किया जा सकेगा।
नये नियमों का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करना है। सुल्तानपुर में विदेशी पक्षियों को बेहतर आवास मिलेगा और कालेसर में जंगली जानवरों की सुरक्षा और मजबूत होगी। पर्यटन केंद्रों को विकसित करने के लिए यह राजस्व अहम योगदान देगा। नये वन्य जीव संरक्षण नियमों ने पर्यटन और संरक्षण, दोनों को नयी दिशा दी है। - राव नरबीर सिंह, वन एवं वन्य जीव मंत्री