हरियाणा कांग्रेस में अब अनुशासन की ‘क्लास’
कमेटी में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का भी ध्यान रखा जा रहा है, ताकि कोई यह न कह सके कि कार्रवाई ‘टारगेटेड’ है। राव का यह कदम संगठन में ‘केंद्रित नेतृत्व’ की ओर संकेत करता है- वो चाहते हैं कि पार्टी में आदेश ऊपर से आए। यह कदम कांग्रेस की उस ‘ओपन पॉलिटिक्स’ पर रोक लगाने जैसा है, जिसमें नेता मंचों पर बयानबाजी करते रहे हैं।
राव नरेंद्र ने साफ कर दिया है कि अब कांग्रेस में मंच पर बगावत नहीं चलेगी। हाल ही में चरखी दादरी में हुई कार्यकर्ता बैठक में जो हंगामा हुआ, जहां उनके सामने ही पूर्व प्रत्याशी मनीषा सांगवान के समर्थकों ने विरोध किया, वह इस फैसले की वजह बना। अब सांगवान को कारण बताओ नोटिस जारी कर 10 दिन में जवाब मांगा गया है। राव का कहना है कि हमारा किसी से व्यक्तिगत विवाद नहीं, लेकिन पार्टी का मंच किसी की निजी सभा नहीं।
राजनीतिक जानकार इसे पूरे संगठन के लिए एक संदेश मान रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में सवाल गूंज रहा है- क्या यह कमेटी संगठन को अनुशासित करेगी या गुटों पर अंकुश लगाने का औजार बनेगी। राव के करीबी इसे संगठनात्मक मजबूती बताते हैं, जबकि विरोधी गुट इसे ‘पावर सेंटर शिफ्ट’ कह रहे हैं।
गुटबाजी की पुरानी कहानी, नया अध्याय
हरियाणा कांग्रेस वर्षों से हुड्डा-सैलजा-सुरजेवाला जैसे नेताओं के गुटों में बंटी रही है। अब राव नरेंद्र सिंह इस जटिल समीकरण को ‘अनुशासन’ के फॉर्मूले से हल करना चाहते हैं। वह एक ऐसी संरचना बनाना चाहते हैं जहां फैसले ऊपर से तय हों और जवाबदेही नीचे तक पहुंचे। एक वरिष्ठ नेता ने कहा– ‘राव के कदम से तय होगा कि संगठन अब ‘डर’ से चलेगा या ‘संवाद’ से।’ परंतु इतना तय है कि राव का प्रयोग पार्टी में ‘नया संतुलन’ और ‘नया संदेश’ दोनों लाया है।
हाईकमान की हरी झंडी का इंतजार
अब निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं। जैसे ही मल्लिकार्जुन खड़गे और बीके हरिप्रसाद की मंजूरी मिलेगी, कमेटी का औपचारिक गठन हो जाएगा। हाईकमान भी हरियाणा की गुटबाजी से परेशान है, इसलिए इस कदम को ‘टेस्ट केस’ के रूप में देखा जा रहा है। अगर राव निष्पक्ष और संतुलित अनुशासन नीति लागू कर पाते हैं, तो यह हरियाणा कांग्रेस के लिए संरचना सुधार का ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित हो सकता है। लेकिन अनुशासन का हथियार अगर गुटबाजी को साधने में इस्तेमाल हुआ, तो परिणाम एकता नहीं, नयी असंतोष लहर हो सकती है।
‘डर नहीं, अनुशासन से चलेगी कांग्रेस’
फिलहाल पार्टी दफ्तरों में एक ही चर्चा गूंज रही है– ‘अनुशासन कमेटी आ रही है... अब किसकी बारी?’ हरियाणा कांग्रेस के इस प्रयोग ने यह साफ कर दिया है कि अब पार्टी में राजनीति ‘जनता के बीच’ ही नहीं, बल्कि ‘संगठन के भीतर’ भी बदलेगी। और यही राव नरेंद्र सिंह का असली प्रयोग है - ‘डर नहीं, अनुशासन से चलेगी कांग्रेस।’