गुरुग्राम, 19 जुलाई (निस)
हरियाणा में अब शस्त्र लाइसेंस 2100 रुपये में बन सकेगा जबकि दलाल मार्केट में उसका रेट अभी तक 500000 तक माना जाता था मुख्यमंत्री ने भी माना कि शस्त्र लाइसेंस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज गुरुग्राम जिला स्थित पुलिस क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र (आरटीसी) भोंडसी के ऑडिटोरियम से प्रदेशभर में प्रथम चरण में शस्त्र लाइसेंस से जुड़ी 14 डिजिटल सेवाओं का रिमोट से बटन दबाकर विधिवत शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश में 6 अस्त्र-शस्त्र प्रशिक्षण केंद्रों का भी लोकार्पण किया। कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री ने वहां नई बनाई गई 100 मीटर की शूटिंग रेंज का भी अवलोकन किया।
आज गुरुग्राम से शुरू की गई इन सेवाओं पर बोलते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले 7 साल से गवर्नेंस का हर काम तकनीक के माध्यम से करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज शुरू की गई सेवाओं के लिए पहले एक फ्लो चार्ट बनाया गया जिसमें पाया गया कि शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन से लेकर लाइसेंस बनने तक की पूरी प्रक्रिया 25 दिन में पूरी हो सकती है और सेवा के अधिकार अधिनियम के अनुसार उसकी अपील का समय भी कम किया जा सकता है जोकि वर्तमान में 60 दिन का है।
उन्होंने कहा कि शस्त्र लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं और ऑनलाइन सुविधा शुरू होने से अब लोगों को पारदर्शी, समयबद्ध और बिना पर्ची-बिना खर्ची के लाइसेंस बनवाने की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को अब शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए केवल 2100 रुपए खर्च करने होंगे जिनमें से 1500 रुपए प्रशिक्षण के, 500 रुपये आवेदन के तथा 100 रुपए अटल सेवा केंद्र के माध्यम से अप्लाई करने में लगेंगे।
कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि शस्त्र लाइसेंस को लेकर लोगों में सदैव एक असमंजस की स्थिति बनी रहती थी जिसमें आवेदक को अपने आवेदन की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती थी लेकिन अब एनआईसी, नागरिक संसाधन सूचना विभाग व पुलिस विभाग द्वारा संयुक्त प्रयासों से शुरू हुई इस ऑनलाइन सेवा में शस्त्र लाइसेंस से जुड़ी प्रक्रिया तथा सूचना आदि के कार्याे को शामिल किया गया है।
इस मौके पर गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने भी संबोधित किया। पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल ने कहा कि इससे जनता को सुविधा होगी तथा शस्त्र लाइसेंस बनाने की कार्य में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।