अब स्कूलों में ‘एआई की क्लास’, शिक्षक भी बनेंगे टेक गुरु
अब तक बच्चे स्कूलों में ईमेल आईडी बनाना, फाइल डाउनलोड करना और बेसिक डिजिटल स्किल्स तक ही सीमित थे। लेकिन अब हरियाणा का स्कूल एजुकेशन सिस्टम बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। नए शैक्षणिक सत्र (2026) से यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सिलेबस शुरू होने जा रहा है। राज्य शिक्षा विभाग ने इसे चार चरणों में लागू करने की योजना बनाई है।
पहले चरण में क्लास 9 के बच्चों को एआई की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके बाद धीरे-धीरे यह 10वीं, 11वीं और 12वीं तक पहुंचाया जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक बच्चों को डिजिटल क्लास में महज ईमेल अकाउंट बनाना, मेल भेजना और फाइल डाउनलोड करना जैसी सीमित स्किल्स ही सिखाई जाती थीं। लेकिन एआई इंटीग्रेशन से छात्र रचनात्मकता, समस्या-समाधान कौशल और डिजिटल टूल्स के उन्नत प्रयोग सीखेंगे। इससे न सिर्फ उच्च शिक्षा बल्कि जॉब के अवसरों में भी उन्हें फायदा मिलेगा।
टीचर भी बदलेंगे, क्लास भी बदलेंगी
यह बदलाव सिर्फ बच्चों की किताबों तक सीमित नहीं होगा। क्लासरूम और टीचिंग में भी एआई उपकरणों को शामिल किया जाएगा। शिक्षक अब सिर्फ लेक्चर नहीं देंगे, बल्कि ग्राफिक्स, स्लाइड, टेबल और प्रैक्टिकल डेमो की मदद से पढ़ाई को और अधिक विजुअल और इंटरएक्टिव बनाएंगे। इस बड़े प्रयोग को सफल बनाने के लिए विभाग ने करीब एक लाख शिक्षकों को चरणबद्ध ट्रेनिंग देने की तैयारी की है।
सिरसा से होगी शुरुआत
25 से 29 सितंबर तक डाइट की ओर से सिरसा जिले में जिला स्तरीय ट्रेनिंग कैंप लगाया जाएगा। इसमें 50 शिक्षकों को एआई की बेसिक जानकारी, प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग, प्रश्नपत्र डिजाइन और मूल्यांकन तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी। हरियाणा राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) पहले ही 5 दिन का ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार कर चुकी है। इसमें बेसिक एआई काॅन्सेप्ट, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग, क्लासरूम एप्लीकेशन और एग्जाम प्रिपरेशन जैसे हिस्से शामिल हैं। हर जिले के दो मास्टर ट्रेनर इस ट्रेनिंग से गुजर चुके हैं और अब वे बाकी शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।
शिक्षा मंत्री करेंगे सीधी निगरानी
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा खुद इस मिशन की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा है कि बचा हुआ काम जल्द पूरा करें, ताकि नए सत्र से इसे लागू किया जा सके। उनका कहना है कि एआई क्लासरूम के साथ अब बच्चों के सामने किताबों तक सीमित पढ़ाई नहीं होगी। यहां हर लेसन प्रेक्टिकल और टेक्नोलॉजी ड्रिवन होगा। यह कदम हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था को ‘डिजिटल इंडिया’ से सीधे जोड़ देगा।