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नड्डा के निर्देश पर विज को नोटिस, तीन दिन में जवाब तलब

मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी करने के मामले में पार्टी हाईकमान ने तरेरे तेवर

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चंडीगढ़, 10 फरवरी

भाजपा नेतृत्व ने अनिल विज की बयानबाजी को इसलिए अधिक गंभीरता से लिया है, क्योंकि बयान उस समय आए जब पूरा केंद्रीय नेतृत्व और हरियाणा के अधिकांश नेता दिल्ली के चुनाव में व्यस्त थे। बेशक, दिल्ली में बहुमत के साथ भाजपा सत्ता में आ गई, लेकिन पार्टी ने चुनाव के दौरान हुई बयानबाजी को गंभीर माना है। इस संदर्भ में विज का पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।

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इससे पहले, प्रदेश में करीब साढ़े नौ वर्षों तक राज्य में मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा की सरकार रही।

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विज उस समय भी मुख्यमंत्री, सीएमओ व अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे। लेकिन भाजपा ने कभी इस तरह का एक्शन नहीं लिया। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में तो ‘सुधारक विधायकों’ के नाम 18 विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी कर ली थी। लेकिन पार्टी इतनी सख्त नज़र नहीं आई थी।

अम्बाला कैंट से सातवीं बार विधायक बनने वाले विज पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में शामिल हैं। नायब मंत्रिमंडल में विज प्रोटोकॉल के हिसाब से भी सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। 17 अक्तूबर, 2024 को ही उन्होंने सीएम नायब सैनी के साथ कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली थी। विज ने अधिकारियों की मनमानी के अलावा सीएम नायब सैनी पर सवाल उठाए थे। साथ ही, उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली पर दर्ज दुष्कर्म के केस को लेकर उन्हें इस्तीफा देने की सलाह दी थी।

मनोहर सरकार में भी रही खटपट : इससे पहले मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार में भी विज कई मुद्दों पर मुखर रहे थे। पिछले साल जब मनोहर लाल की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो विज की नाराजगी सामने आई थी। वे नायब सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट से बाहर रहे। अक्तूबर-2014 में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल में वे गृह मंत्री रहे। गृह विभाग में सीआईडी को लेकर उस समय उनका मनोहर लाल के साथ टकराव हुआ था। बाद में सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके सीआईडी को गृह विभाग से अलग कर दिया था और सीआईडी सीएम ने अपने पास रखा।

यह लिखा नोटिस में अनिल विज जी, सूचित किया जाता है कि आपने हाल ही में पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान दिए हैं। यह गंभीर आरोप हैं और पार्टी की नीतियों तथा आंतरिक अनुशासन के खिलाफ है। आपका यह कदम न केवल पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है, बल्कि यह उस समय पर हुआ है, जब पार्टी पड़ोसी राज्य में चुनाव के लिए अभियान चला रही थी। चुनावी समय में एक सम्मानित मंत्री पद वहन करते हुए इस प्रकार की बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा, यह जानते हुए आपने ऐसे बयान दिए, जो कि पूरी तरह अस्वीकार्य हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश अनुसार आपको यह कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। आपसे अपेक्षा की जाती है कि तीन दिनों के भीतर आप इस विषय पर लिखित स्पष्टीकरण दें। -मोहनलाल बड़ौली, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष

विज आज पहुंचेंगे चंडीगढ़ कैबिनेट मंत्री अनिल विज रविवार को जरूरी काम से बेंगलुरू गए हुए हैं। वह मंगलवार शाम को 6.30 बजे चंडीगढ़ वापस आएंगे।

- अभिकान्त वत्स, पीए, ऊर्जा परिवहन एवं श्रम मंत्री

ये हैं नाराजगी के बड़े कारण

विज ने कहा था कि कुछ स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने उन्हें विधानसभा चुनाव में हराने की कोशिश की। इसके लिए लिखित में भी दिया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अम्बाला डीसी रहे पार्थ गुप्ता से विज नाराज थे। बाद में उनकी बदली यमुनानगर में की गई। सीएमओ के एक वरिष्ठ अधिकारी पर भी विज का नजला गिरा। अम्बाला सदर थाने के एक एचएसओ को सस्पेंड करने की सिफारिश विज ने की, लेकिन डीजीपी ने कार्रवाई नहीं की। कैथल व सिरसा में ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग के दौरान जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को सस्पेंड करने की सिफारिश की, विभाग ने कार्रवाई नहीं की।

टाइम लाइन : विज ने कब क्या कहा

30 जनवरी : विज ने कहा- ‘जनता दरबार’ नहीं लगाऊंगा, न ही ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में जाऊंगा। अधिकारी सुनवाई और कार्रवाई नहीं करते। डल्लेवाल की तरह आमरण अनशन पर बैठूंगा।

31 जनवरी : नायब जब से सीएम बने हैं, वे उड़न खटोले पर सवार हैं। यह सिर्फ उनकी (विज) नहीं, बल्कि सभी सांसदों-विधायकों व मंत्रियों की आवाज है। मुझे शक है कि मुझे हराने के लिए किसी बड़े नेता ने साजिश रची। मुझे मारने का भी प्रयास किया गया।

2 फरवरी : मैंने न सीएम पद और न मंत्री पद मांगा। अगर अब इसे कोई छीनना चाहता है तो छीन ले। विधायक तो रहूंगा।

2 फरवरी : पार्टी की पवित्रता और सिद्धांत को बनाए रखने के लिए मोहन लाल बड़ौली को तुरंत त्यागपत्र देना चाहिए। मेरी आत्मा महसूस करती है कि उनको (सीएम को) आसमान से नीचे आना चाहिए और विधायक व मंत्रियों के साथ बैठकर समय बिताना चाहिए।

3 फरवरी : मैं इस्तीफा देने के लिए नहीं बना हूं, मैं इस्तीफा दिलवाने के लिए बना हूं। आवाज उठाऊंगा। चुप रहना भी अपराध है। जनता का मैंडेट काम करने के लिए है।

6 फरवरी : निकाय चुनाव उनके (मुख्यमंत्री के) चेहरे पर लड़े जाएंगे। महाराष्ट्र और नयी दिल्ली के विधानसभा चुनाव भी उन्हीं (नायब सैनी) के चेहरे पर लड़े गए।

प्रभारी ने की थी मुलाकात : विज की बयानबाजी के बाद पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी डॉ़ सतीश पूनिया ने पिछले दिनों हरियाणा सिविल सचिवालय में विज से मुलाकात की थी। इसके बाद विज ने ऑइ इज वेल के जवाब में ऑल विज बी वेल कहा था।

जवाब नहीं दिया तो फिर आएगा नोटिस : आमतौर पर अनुशासनहीनता के मामले में एक से दो सप्ताह का समय दिया जाता है। लेकिन विज को तीन दिन का समय दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर विज ने जवाब नहीं दिया तो उन्हें रिमाइंडर नोटिस भेजा जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी की ओर से उनके खिलाफ अनुशासनहीता की कार्रवाई की जा सकती है। प्रदेश में निकाय के चुनाव चल रहे हैं। माना जा रहा है कि विज को नोटिस देकर पार्टी ने अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को अनुशासन को लेकर कड़ा संदेश देने की कोशिश की है।

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