चंडीगढ़, 3 जनवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा राज्य सूचना आयोग ने मुख्य सचिव ऑफिस व टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को नोटिस जारी किया है। मामला वरिष्ठ आईएएस डॉ़ अशोक खेमका द्वारा आयोग में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दायर की गई अपील से जुड़ा है। खेमका ने जस्टिस एसएन धींगड़ा जांच आयोग और सुनवाई के दौरान वकीलों को किए गए भुगतान को लेकर जानकारी मांगी थी।
मालूम हो खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में गुरुग्राम में राबर्ट वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के बीच हुए एक भूमि सौदे की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। चकबंदी निदेशक रहते हुए खुद खेमका ने इस दोनों के बीच हुई म्युटेशन को रद्द करने के आदेश दिए थे। जस्टिस धींगड़ा आयोग ने अपनी जांच पूरी करके के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आयोग के गठन को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी। साथ ही, उन्होंने आयोग की रिपोर्ट को पब्लिक करने पर रोक लगाने की मांग की। राज्य सरकार ने उस समय इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए एडवोकेट तुषार मेहता को हाईकोर्ट में खड़ा किया।
वर्तमान में तुषार मेहता सोलिस्टर जनरल ऑफ इंडिया हैं। खेमका ने मुख्य सचिव कार्यालय में आरटीआई आवेदन करके पूछा कि तुषार मेहता को कुल कितना पैसा दिया गया। साथ ही, उन्होंने धींगड़ा आयोग पर खर्च हुए ब्योरे को लेकर भी जानकारी मांगी। मुख्य सचिव कार्यालय ने उनके आवेदन को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को भेज दिया। विभाग ने खेमका को आधी-अधूरी जानकारी दी। इस जानकारी में यह तो बताया गया कि एडवोकेट तुषार मेहता कुल 12 सुनवाई पर मौजूद रहे लेकिन 8 सुनवाई का ही उल्लेख जवाब में दिया गया। 8 सुनवाई के लिए सरकार ने मेहता को 61 लाख 60 हजार रुपये का भुगतान किया। धींगड़ा आयोग के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं दी। ऐसे में खेमका ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया।