अरविंद शर्मा /निस
जगाधरी, 20 मई
गेहूं की कम पैदावार का फाने जलाने पर भी असर पड़ा है। भूसा तैयार करने के लालच में किसानों ने पिछले साल के मुकाबले काफी कम गेहूं के फाने जलाए हैं।
कृषि विभाग के अनुसार जिले में इस बार फाने जलाने के 22 केस सामने आए हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 50 थी। गेहूं के फाने जलाने में प्रदेश में करनाल जिला पहले पायदान पर रहा है। वहीं महेंद्रगढ़ में एक भी मामला सामने नहीं आया है। करनाल में इस बार प्रदेश में सबसे ज्यादा फाने जलाए गए हैं। यहां पर फाने जलाने के 382 केस मिले हैं।
इस बार जिला अम्बाला में 92, भिवानी में 75, चरखी दादरी में 10, फरीदाबाद में 17, फतियाबाद में 273, गुरुग्राम में 7, हिसार में 149, झज्जर में 122, जींद में 334, कैथल में 306, कुरुक्षेत्र में 139, नूंह में एक, रोहतक में 210, पंचकूला में 3, पानीपत में 219, पलवल में 33, रेवाड़ी में 3, सिरसा में 185 और सोनीपत में 275 केस फसल अवशेष जलाने के मामले सामने आये हैं।
सेटेलाइट से जुटायी जानकारी
कृषि उप निदेशक डाॅ. जसविंद्र सैनी का कहना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही जागरूकता मुहिम का भी असर हो रहा है। फसल कम होने का भी असर है। यमुनानगर जिले में फाने जलाने वालों पर कार्रवाई की जा रही है। किसानों से साढ़े 12 हजार रुपये जुर्माना वसूला जा चुका है। फाने जलाने की जानकारी सेटेलाइट की मदद से जुटायी जा रही है।