चंडीगढ़, 9 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा राज्य चुनाव आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं – जिला परिषद, ब्लाॅक समिति व ग्राम पंचायतों के चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पंचायत चुनाव भी निकायों की तरह पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए बिना ही होंगे। हालांकि पंचायतों में 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। राज्य सरकार ने 2020 में कानून में बदलाव करके महिलाओं के आरक्षण को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी कानून में बदलाव के अनुसार चुनाव करवाने की इजाजत राज्य सरकार को दे चुका है। सरकार ने पंचायतों में पिछड़ा वर्ग के लिए भी आठ प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था। माना जा रहा है कि पिछड़ा वर्ग वोट बैंक को साधने के लिए यह निर्णय हुआ था, लेकिन पंचायतों के चुनावों में सरकार पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दे सकेगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर स्पष्ट निर्देश दिए हुए हैं। हरियाणा में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन भी अभी तक नहीं हुआ है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राज्य सरकार आयोग का गठन करने का ऐलान कर चुकी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में अधिक काम नहीं हुआ है। आयोग का गठन होने के बाद वह सर्वे करेगा और अपनी सिफारिशें व रिपोर्ट सरकार को देगा, इसके बाद ही कोई फैसला हो सकेगा। निकायों में अध्यक्ष के पद पर डायरेक्ट चुनाव होते हैं और सरकार ने ड्रा के जरिये कई निकायों में अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग व पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित भी कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका।
पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण केवल सरपंच के पदों के लिए मिलेगा। चुनाव आयोग ने प्रदेश सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि आरक्षण को लेकर तुरंत फैसला किया जाए ताकि आयोग उसी हिसाब से चुनावों की तैयारियों को आगे बढ़ा सके। इसी तरह से अजा व अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का फैसला करने को कहा गया है। विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा फार्मूला तय करके महिलाओं के आरक्षण को लेकर निर्णय लिया जाना है।
डीआरओ को दिए तैयारियों के निर्देश
राज्य चुनाव आयोग ने सभी जिलों के डीसी-कम-डिस्टि्रक्ट रिटर्निंग ऑफिसर (डीआरओ) को पंचायत चुनाव की तैयारियां करने के निर्देश दिए हैं। उन्हें कहा गया है कि वे चुनाव सामग्री को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार करके आयोग को भेजें ताकि उन्हें जरूरत के हिसाब से चुनाव सामग्री उपलब्ध करवाई जा सके। इलेक्ट्रोल रोल रिवाइज करने को भी कहा गया है।
78 हजार ईवीएम
पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में लगभग 78 हजार ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल होगा। जिला परिषद, ब्लाक समिति व ग्राम पंचायतों में सरपंचों के चुनाव ईवीएमसे होंगे। वहीं ग्राम पंचायतों में पंचों के चुनाव बैलेट पेपर से करवाए जाएंगे। सभी डीसी को कहा गया है कि वे ईवीएम की फर्स्ट लेवल चैकिंग करवा लें। जिला उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग करवाएं। बाद में यही मास्टर ट्रेनर पंचायत चुनावों में ड्यूटी पर लगने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को ट्रेनिंग देंगे। राज्य चुनाव आयोग की कोशिश है कि सितंबर के आखिर तक पंचायत चुनावों को सम्पन्न करवाया जाए।
‘सभी जिलों के डीसी को निर्देश दिए हैं कि वे पंचायत चुनाव की तैयारियां करें। हमारी कोशिश है कि सितंबर के आखिर तक चुनाव करवाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट की भी निकाय व पंचायत चुनावों में हो रही देरी को लेकर सख्त टिप्पणी आ चुकी है। उसकी पालना में ही सरकार को पत्र भी लिखा है। डीसी को कहा है कि वे चुनाव सामग्री का प्रबंध करें और मतदाता सूचियों के साथ मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग करवाएं।’
-धनपत सिंह, राज्य चुनाव आयुक्त