चंडीगढ़, 7 जुलाई (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुग्राम जिले की मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सेहरावां गांवों की राजस्व संपदा में मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के लिए नो लिटिगेशन पॉलिसी-2023 को मंजूरी प्रदान की गई। मुख्यमंत्री ने 9 अगस्त, 2022 को विधानसभा में इस विषय के समाधान को लेकर आश्वस्त किया था। इस पॉलिसी को 4 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में भी रखा गया था।
बैठक में जब यह एजेंडा आया तो डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला ने कड़ी नाराजगी जताई थी। दरअसल, मुआवजे से जुड़ा यह मामला 4 जुलाई की कैबिनेट में लाया गया तो दुष्यंत ने इस बात पर आपत्ति जताई कि उनके नोटिस में लाए बिना कैबिनेट में एजेंडा कैसे आ गया। यहां बता दें कि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग भी दुष्यंत चौटाला के पास है और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग भी। ऐसे में एजेंडे को टाल दिया गया। इस बीच, दुष्यंत उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें विभाग से बदलने के लिए मुख्य सचिव को पत्र भी लिख चुके हैं। बहरहाल, शुक्रवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में इस एजेंडे पर मुहर लग गई। नई नीति का उद्देश्य विकास को तेजी से आगे बढ़ाना और भूमि मालिकों को विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाना है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उचित लाभ मिले। जो भूमि मालिक नो लिटिगेशन पॉलिसी 2023 के तहत विकल्प नहीं चुनते हैं, वे भूमि मालिकों के लिए पुनर्वास और पुनर्स्थापन और भूमि अधिग्रहण विस्थापित नीति (आर एंड आर) के तहत लाभ के लिए पात्र होंगे।
राज्य सरकार ने मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के विकास के उद्देश्य से 10 जनवरी, 2011 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 के तहत जिला गुरुग्राम की मानेसर तहसील के गांवों कासन, कुकरोला और सेहरावां में लगभग 1810 एकड़ जमीन को अधिसूचित किया था। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल, 2011 के आदेश के तहत इस अधिग्रहण कार्रवाई पर रोक लगा दी। न्यायालय द्वारा दिया गया स्टे 2 दिसंबर, 2019 को हटा दिया गया और उसके बाद उक्त भूमि को 17 अगस्त, 2020 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 6 के तहत अधिसूचित किया गया और बाद में 8 अगस्त, 2022 को अवार्ड की घोषणा की गई थी।
2011 में शुरू किए गए अधिग्रहणों पर भूमि मालिकों के बीच असंतोष था। इस मुद्दे को लेकर प्रभावित भूमि मालिकों के साथ कई बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इस तरह की देरी के कारण, 16 अगस्त, 2022 को स्टे हटने के बाद 10 जनवरी 2011 की अधिसूचना के समय कलेक्टर दर के आधार पर मुआवजा राशि निर्धारित की गई। 9 अगस्त, 2022 को हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया था कि विस्थापित भूमि मालिकों का उचित पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए इस अधिग्रहण की कार्रवाई के लिए पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीति 2010 को संशोधित किया जाएगा।
यह मिलेगा योजना का लाभ
नो लिटिगेशन पॉलिसी-2023 समानुपातिक आधार पर एक एकड़ भूमि के बदले 1000 वर्गमीटर विकसित भूमि/भूखंड की पात्रता की अनुमति देती है। किसानों/भूमि मालिकों को इसकी अधिसूचना और पोर्टल के लॉन्च से 6 महीने की अवधि के भीतर योजना का विकल्प चुनने का अधिकार होगा। भूमि मालिकों को तत्काल लाभ सुनिश्चित करने के लिए, एचएसआईआईडीसी योजना के बंद होने से 3 महीने की अवधि के भीतर भूमि मालिकों के आवंटन हिस्से के आधार पर आवासीय या औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने का आश्वसन देते हुए भूमि पात्रता प्रमाण पत्र जारी कर सकता है।