फरीदाबाद, 15 जून (हप्र)
स्कूल में दाखिला लेने से पहले छात्र के पास जन्म प्रमाण-पत्र होना आवश्यक है। जन्म प्रमाण-पत्र व उससे संबंधित दस्तावेज के अभाव में बच्चे का दाखिला संभव नहीं होगा। इसे लेकर मौलिक शिक्षा निदेशालय ने निर्देश जारी किए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि शिक्षा से संबंधित सभी दस्तावेज में एक ही जन्म तिथि रहे। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई बच्चों के अभिभावक जन्म प्रमाण-पत्र बनवाना आवश्यक नहीं समझते और स्कूल में दाखिले के दौरान अनुमान से जन्मतिथि लिखवा देते है। स्कूल द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले डाटा के आधार पर बोर्ड अंक तालिका में जन्मतिथि अंकित करता है, लेकिन बाद में कई बार छात्र एवं उनके अभिभावक जन्मतिथि मानने से इनकार कर देते हैं। इसमें बोर्ड के अधिकारियों एवं छात्रों दोनों को परेशानी होती है। काफी जद्दोजहद के बाद जन्मतिथि में बदलाव हो पाता है। इसमें पारदर्शिता लाने के लिए जन्म प्रमाण-पत्र आवश्यक कर दिया गया है। विद्यालय प्रबंधकों को निर्देश दिए है कि जिन बच्चों के दाखिले हो गए, उनकी जन्मतिथि दोबारा से जांची जाए।
ऑन लाइन बर्थ सर्टिफिकेट स्वीकार होंगे : मौलिक शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि दाखिले के दौरान केवल आनलाइन जन्म प्रमाण पत्र ही स्वीकार किया जाए। बच्चे की जन्म संबंधी जानकारी प्रदेश सरकार की वेबसाइट पर अपडेट होनी चाहिए। हस्त लिखित जन्म प्रमाण को स्वीकार नहीं किया जाए। हस्त लिखित प्रमाण पत्र को लेकर विवाद भी हुए हैं। इससे फर्जीवाड़ा रोकने में सहायता मिलेगी।
‘ग्रामीण क्षेत्रों में होती है परेशानी’
कार्यकारी जिला शिक्षा अधिकारी मुनेश चौधरी का कहना है कि सभी विद्यालयों को निर्देश दे दिए गए हैं। शहरी क्षेत्रों में अस्पतालों में डिलीवरी के बाद ही बच्चे का आॅनलाइन पंजीकरण हो जाता है। इसके चलते परेशानी नहीं होती, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में घर पर भी डिलीवरी होती हैं। इसके चलते परेशानी होती है। सभी से स्पष्ट कर दिया गया है बिना जन्म प्रमाण-पत्र के दाखिला नहीं दें।