जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 28 नवंबर
डेंगू के धीमा पड़ने के बाद कोरोना वायरस के नये वैरिएंट और स्क्रब टाइफस नामक बीमारी के कारण आमजन और स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं। हालांकि कोरोना वायरस के नये वैरिएंट का कोई मामला अभी तक आसपास के क्षेत्र में नहीं आया किंतु स्क्रब टाइफस के पीजीआई चंडीगढ़ से जिला के 5 मामले रिपोर्ट होने के बाद स्वास्थ्य विभाग को अतिरिक्त चौकसी बरतनी पड़ी। हालांकि वह मरीज स्वस्थ्स होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं।
इसी बीच राहत की बात यह रही कि पिछले करीब डेढ़ महीने से जिला में कोरोना पाॅजिटिव का कोई नया मरीज सामने नहीं आया जबकि स्वास्थ्य विभाग की लैब में टैस्ट किए गए करीब 3 सौ सैंपलों में से स्क्रब टाइफस का कोई मामले नहीं मिला। लेकिन कोरोना के प्रति लापरवाह हो चुके नागरिकों के सामने कोरोना वायरस के नये वैरिएंट के मिलने से चुनौतियां अवश्यक खड़ी हो गई हैं। दरअसल हाल ही के दिनों में प्रदेश के कुछ जिलों में इस स्क्रब टाइफस के मरीजों के सामने आने दिक्कतें बढ़ी हैं। प्राय: अगस्त से नवंबर माह के बीच इस बीमारी का अधिक खतरा होता है। इस बीमारी में समस्या यह है कि डेंगू और वायरल बुखार के कुछ लक्षण इसमें एक समान होते हैं।
स्क्रब टाइफस चूहों में पाए जाने वाले पिस्सुओं के काटने से होता है। यह कीड़े खेतों या पहाड़ों पर मौजूद झाड़ियों में पाए जाते हैं। अम्बाला में स्क्रब टाइफस की टेस्ट किट मौजूद है, अभी तक किए गए 300 टेस्टों में से कोई भी मरीज पॉजिटिव नहीं आया है। तीसरे वैरिएंट की आशंकाओं के चलते जिला स्वास्थ्य विभाग के पास हर दृष्टि से पर्याप्त इंतजाम हैं।
-डॉ. कुलदीप सिंह, सिविल सर्जन, अम्बाला
इन कारणों से होती है यह बीमारी
डॉक्टरों की माने तो यह बीमारी मुख्य रूप से चूहों, पिस्सुओं, जंगल, हरियाली, बाग में मिलने वाले कीट एवं जानवरों में मिलने वाले कीटों से होती है। यह कीट अकसर गर्म व नमी वाली जगह में काटता है। यदि इसका उपचार समय पर न हो तो मरीज को मल्टीआॅर्गन फेल्योर हो सकता है। इससे मरीज का जीवन खतरे में आ जाता है।
रोग के मुख्य लक्षण
बुखार के कारण का पता न चलना, 103 से 104 डिग्री बुखार रहना, सिर दर्द, चमड़ी पर चकते बनना, प्लेटलेट्स का गिरना, दिमाग, दिल, फेफड़ा, गुर्दे पर प्रभाव आना। डॉक्टरों का कहना है कि प्लेटलेट्स गिरने के कई कारण होते हैं लेकिन घबराने की जगह जांच करायें। झोलाछाप डॉक्टरों से बचें और झाड़ फूंक के चक्कर में न फंसें। खेतों में बगैर जूतें व ग्लब्ज के न जायें।
कोरोना का रिकवरी रेट 98.31 प्रतिशत
पिछले करीब डेढ़ महीने में जिला में कोरोना को काई मामला सामने नहीं आया। जिले में कोरोना के मरीजों का रिकवरी रेट 98.31 फीसदी है। जिले में अब नये वैरिंएट की आशंका के चलते अब तक रोजाना औसत 700 सैंपलों के स्थान पर 1500 सैंपल शुरू किए जाएंगे।