सोनीपत, 29 मई (हप्र)
स्ट्रीट लाइटों को लेकर नई व्यवस्था शहरवासियों के लिए आफत बन गई है। न तो शहर में नई स्ट्रीट लाइट लग पा रही है और न ही खराब स्ट्रीट लाइट बदली जा रही है। पूरे शहर की स्ट्रीट लाइटों को एलईडी में बदलने का कार्य राज्य स्तर पर एजेंसी द्वारा किया जाना है। साढ़े तीन साल से इसका इंतजार है, लेकिन अभी सर्वे ही हुआ है। इस व्यवस्था के चलते निगम अपने स्तर पर नई लाइटें लगा नहीं सकता। वहीं, पुरानी लाइट के रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही शहरवासियों पर भारी पड़ रही है। आलम यह है कि दिन ढलते ही शहर में अंधकार छा जाता है।
सर्वे में सामने आया है कि शहर में 22 हजार लाइट प्वाइंट हैं, इसमें भी 8 हजार प्वाइंट ऐसे हैं जहां पर पुरानी लाइट दुरुस्त ही नहीं हो सकती। वहां नई लाइटें लगाई जाने की आवश्यकता है और यहां परेशानी यह है कि निदेशालय ने आदेश दिया है कि नई लाइटें खरीदनी नहीं हैं, ऐसे में उन 8 हजार जगह तो परेशानी बन ही रही है, जबकि टेंडर न होने से खराब हो रही स्ट्रीट लाइट की भी मरम्मत नहीं हो पा रही है। राज्य सरकार ने स्ट्रीट लाइटों के लिए राज्य स्तर पर टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए 15 माह तक सिर्फ सर्वे किया गया है। सर्वे में सोनीपत में कई हजार ब्लैक स्पाट मिले हैं, जहां स्ट्रीट लाइट की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त कई अन्य स्थानों पर स्ट्रीट लाइट खराब मिली हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए निगम प्रशासन ने अपने स्तर पर योजना बनाई थी कि जब तक टेंडर प्रक्रिया के अंतर्गत लाइटें लगने की शुरुआत नहीं हो जाती तब तक आपात व्यवस्था के अंतर्गत लाइटें लगवाई जाएं। इसके लिए प्रस्ताव भी पार्षदों की ओर से पास किया गया था, लेकिन उसे निदेशालय से मंजूरी नहीं मिली।
मुरथल रोड पर दो साल से लाइटें खराब
मुरथल रोड पर अब सड़क और डिवाइडर बन चुके हैं लेकिन विकास नगर से रेवली के रजवाहे तक लाइटें खराब हैं। सारी लाइटें एक ही सीक्वेंस में जलती-बुझती हैं। दो साल पहले सीवर लाइन बिछाने के लिए मुरथल रोड की एक सड़क उखाड़ी गई थी। तब केबल कटने से लाइटें बंद हो गई थी। निगम कह रहा था जब तक डिवाइडर नहीं बनते समस्या रहेगी।
अब डिवाइडर बन चुके हैं लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है।
दो दशक पुरानी हैं शहर में लगीं स्ट्रीट लाइटें
नए टेंडर के बावजूद शहर में कई ऐसे प्वाइंट हैं जहां लाइट दुरुस्त नहीं हो सकेंगी। 8 हजार से अधिक ऐसे प्वाइंट हैं जोकि डेमेज हालत में हैं। इनमें कुछ को चालू करते हैं तो फिर खराब हो जाती हैं। सेक्टरों में टीएल-4 लाइटें लगी हैं जोकि 20 से 25 साल पुरानी हैं। कायदे से 5 से 7 साल ही लाइट की लाइफ होती है। यहां वर्षों से पुरानी लाइटों को ठीक कर चलाया जा रहा है। शहर में निगम बिजली बिल सहित स्ट्रीट लाइट पर हर माह करीब 50 लाख खर्च रहा है। स्ट्रीट लाइट कहीं जर्जर हालत में हैं तो कहीं लगने का इंतजार लंबा हो रहा है।
सेक्टरों में है सबसे ज्यादा दिक्कत
शहर के सेक्टरों में 20-25 साल पुरानी स्ट्रीट लाइटें लगी है। उनमें से कई लाइटों को जुगाड़ से खंभे पर लगाया है। कई स्ट्रीट लाइटें रस्सी के सहारे बंधी दिखाई देती हैं। पिछले दिनों शहर के सेक्टर-12, 13, 14, 15 व 23 में स्ट्रीट लाइटें एकदम से बंद हो गई थीं, जिसके बाद अधिकतर स्ट्रीट लाइट अभी तक खराब ही पड़ी हैं।
नई लाइटें लगाने का कार्य प्राइवेट एजेंसी द्वारा किया जाता है। जैसे ही मुख्यालय द्वारा एजेंसी निर्धारित करेगी, नई लगवाकर लाइटें लगवाई जाएगी। खराब लाइटों को शिकायत मिलते ही ठीक करवा दिया जाता है।
बिजेंद्र कुमार, अभियंता नगर निगम सोनीपत