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हरियाणा की जेलों में नया प्रयोग: पुलिस अधिकारी बने सुपरिंटेंडेंट

विवेक चौधरी को गुरुग्राम व सत्येंद्र कुमार को यमुनानगर जेल की कमान
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 हरियाणा की नायब सरकार ने जेल प्रशासन में नाटकीय बदलाव किया है। पहली बार प्रदेश की जेलों में हरियाणा पुलिस के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट (एचपीएस) अधिकारियों को सुपरिंटेंडेंट के रूप में तैनात किया गया है। यह कदम जेल विभाग के पारंपरिक कैडर और अनुशासन व्यवस्था के लिए चुनौती साबित हो सकता है।

शनिवार को गृह व जेल विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ़ सुमिता मिश्रा ने शनिवार आदेश जारी किए। इसके तहत डीएसपी विवेक चौधरी को भौंडसी (गुरुग्राम) जेल का सुपरिंटेंडेंट बनाया है। डीएसपी सत्येंद्र कुमार को यमुनानगर जेल का सुपरिंटेंडेंट तैनात किया है। हटाए गए अधिकारी नरेश गोयल और विशाल छिब्बर को प्रदेश मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

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हरियाणा की जेलें देशभर में पारदर्शिता, अनुशासन और सुविधाओं के मामले में टॉप पर हैं, लेकिन इस नए कदम से प्रशासनिक संतुलन पर सवाल उठ सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह प्रस्ताव जेल विभाग से नहीं बल्कि पुलिस विभाग की पहल पर आया। पुलिस ने तर्क दिया कि जेलों में मोबाइल फोन अपराधियों के हाथों में होते हैं और इससे गैंगस्टर एक्टिविटी आसानी से संचालित होती है। सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम जेलों में अनुशासन और सुरक्षा को मजबूत करेगा या नए विवादों को जन्म देगा।

प्रोटोकॉल और वर्दी विवाद

जेल विभाग में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट रैंक के अधिकारियों की वर्दी पर अशोक स्तंभ होता है, जबकि पुलिस के डीएसपी थ्री-स्टार पहनते हैं। इस बदलाव से जेल विभाग के अधिकारियों के सामने सुपरिंटेंडेंट को सलामी देने का सवाल पैदा होगा। पूर्व की मनोहर सरकार ने जेल अधिकारियों के लिए अलग वर्दी शुरू की थी। अब पुलिस विभाग वर्दी में बदलाव की तैयारी में है, जबकि जेल विभाग ने इसका विरोध किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में पुलिस और जेल विभाग के बीच टकराव लगभग तय है।

अच्छे नहीं पंजाब के अनुभव

पड़ोसी पंजाब में ऐसी पोस्टिंग के अनुभव अक्सर विवादास्पद रहे हैं। वहां मोबाइल फोन और सुरक्षा की चूक के कारण अपराध की बढ़ती वारदातें आम रही हैं। हरियाणा की जेलें फिलहाल अनुशासन और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में देशभर में टॉप पर हैं। इस नए प्रयोग से देखना होगा कि क्या राज्य अपनी प्रतिष्ठा बनाए रख पाएगा या विवादों की राह खुलेगी। बेशक, हरियाणा सरकार का यह कदम एक नया प्रयोग है। यह जेल प्रशासन में सुधार का संकेत हो सकता है, लेकिन इससे प्रोटोकॉल, वर्दी और प्रशासनिक संतुलन पर नए विवाद उभर सकते हैं। अब सबकी निगाहें इस प्रयोग की वास्तविक सफलता और प्रभाव पर टिकी हैं।

 

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