नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 30 सितंबर
सरप्लस बताकर 500 से ज्यादा कर्मचारियों के निकाले जाने में भी निगम अधिकारियों ने पहुंच वालों का पूरा ‘ख्याल’ रखा। सरप्लस कर्मचारियों की सूची न सिर्फ पूरी सावधानी के साथ तैयार की गई बल्कि तीन स्तर पर अलग-अगल अधिकारियों द्वारा बाद ही स्थितियों का पूरा विशलेषण भी किया गया। दबी जुबान में अधिकारी 100 से ज्यादा कर्मचारियों को ‘गलत’ निकाले जाने बात स्वीकार तो करते हैं लेकिन खुलकर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं।
नगर निगम ने दो अलग-अलग लिस्ट जारी कर सिर्फ तीन दिन में 500 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। जिन आउटसोर्स कर्मचारियों को निकाला गया उसमें ज्यादातर सी व डी ग्रेड के ही शामिल हैं। इन्हीं दो ग्रेड में अधिकतर सिफारिशी कर्मचारियों को भी भर्ती कर रखा है। कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की चर्चाएं बीते एक सप्ताह से दफ्तर में चल रही थी, लेकिन किसी को इस बात का आभास नहीं था कि छंटनी की तलवार इतनी जल्दी और इतने बड़े पैमाने पर चल जाएगी। छंटनी का कार्य एडिशनल कमिश्नर स्तर के एक अधिकारी को दिया गया। उनकी देखरेख में सूची तैयार कर तीन स्तर पर इसमें शामिल किए गए नामों की ‘अहमियत’ की पुष्टि करवाई गई तथा पूरी सावधानी के बाद सूची जारी कर दी। आरटीआई विंग से निकाला गया एक कर्मचारी बीते 12 साल से कार्यरत था। इसी तरह 8 साल व 10 से अस्थाई कर्मचारी के तौर पर लगातार काम कर रहे कर्मचारियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। एक अधिकारी ने नाम न छापने की गुजारिश के साथ बताया, ‘जिन कर्मचारियों को निकाला गया है उनमें से 100 से ज्यादा ऐसे थे जो तीन-तीन कर्मचारियों का कार्य अकेले और पूरी ईमानदारी के साथ करते थे। नौकरी से निकाले गए तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के 500 से ज्यादा कर्मचारियों ने नौकरी बहाली के लिए जोरदार प्रदर्शन किया। इन्होंने मांग की कि सभी कर्मचारियों को वापस नियमित व निगम रोल पर नौकरी दी जाए। इन्होंने निगम कमिश्नर विनय प्रताप सिंह से मुलाकात करने का प्रयास किया। बाद में ये डीसी अमित खत्री के पास पहुंचे। प्रदर्शनकारियों को डीसी ने आश्वासन दिया कि वे इस बारे में निगम कमिश्नर से बात करेंगे।
चहेतों को बचाने के लिए बनाया बलि का बकरा
नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान राजेश सारवान का आरोप है कि अधिकारियों ने अपने चहेते मोटी सेलरी लेने वालों को बचाने के लिए उनकी बलि चढ़ा दी जिन्होंने कोरोना काल में नगर निगम के संकट मोचन की भूमिका निभाई। वह कहते हैं कि ऐसे ढ़ेर सारे कर्मचारी हैं जो एक दशक से भी ज्यादा समय से निगम में काम कर रहे थे, उनकी सेवाओं को नियमित करवाने की बजाय बाहर का रास्ता दिखा दिया।