रेवाड़ी, 6 मार्च (निस)
एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे मुकुल वत्स रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान बचते-बचाते पोलैंड से रविवार को अपने घर लौट आए। बेटे मुकुल के घर लौटने पर पूरा परिवार आनंदित है। पिता राजेंद्र व मां ललिता ने घर लौटे बेटे को जहां सीने से लगा लिया, वहीं बहन ने तिलक लगाकर उसकी आरती की। मुकुल को बधाई देने के लिए जहां आसपास के लोग पहुंचे, वहीं बावल सीएचसी के एसएमओ डा. रामनिवास ने भी उनके घर पहुंचकर बधाई दी।
मुकुल ने बताया कि उनके लिए आज दोहरी खुशी का दिन है। आज वह जहां घर लौटा है, वहीं उनके माता-पिता की शादी की वर्षगांठ भी है। उसने बताया कि वह बमबारी के बीच मुसीबतों का सामना करते हुए पड़ोसी देश पाेलैंड पहुंचे।
वहां की सरकार ने भी उनका पूरा ध्यान रखा। तत्पश्चात भारत सरकार की मदद से वे सकुशल स्वदेश लौटे। उसने कहा कि राजधानी कीव से सैकड़ों किलोमीटर दूर एक यूनिवर्सिटी में अभी भी 400-500 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं।
‘दो दिन भूखे रहे, 8 किमी. पैदल चले’
नारनौंद (निस): गांव खांडा खेड़ी निवासी अंकित पुत्र बलजीत सिंह 2016 में 12वीं कक्षा पास करने के बाद डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन चला गया था। अंकित ने यूक्रेन के अनुभव बताते हुए कहा कि एक समय तो ऐसा लग रहा था कि शायद ही जिंदा बच पाए। चार दिन तक मेट्रो स्टेशन के नीचे बने बैंकर में रहे लेकिन वहां पर खाना खत्म हो गया था ऐसे में दो दिन तक भूखा ही रहना पड़ा। उसके बाद वहां से निकले और 8 किलोमीटर पैदल चलने के बाद पोलैंड पहुंचे। उसके बाद लगा कि अब हम सुरक्षित अपने वतन को लौट जाएंगे और इसमें हमारी सरकार में काफी मदद की है। बलजीत व उसकी पत्नी सुदेश ने बताया की वे भारी चिंता में थे कि न जाने उनके बेटे का वहां पर क्या होगा।