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सांसद वरुण चौधरी ने चंडीगढ़ प्रशासक से की मुलाकात, न्यायिक जांच की मांग

आईपीएस वाई. पूरन कुमार आत्महत्या केस
सांसद वरुण चौधरी
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वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या मामले ने अब राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही हलकों में हलचल मचा दी है। अंबाला से सांसद वरुण चौधरी ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग को लेकर शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रशासक एवं पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की। मुलाकात पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना में हुई, जहां उनके साथ वाई पूरण कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत पी़ कुमार के भाई एवं बठिंडा ग्रामीण से विधायक अमित रतन भी मौजूद रहे।

सांसद वरुण चौधरी ने प्रशासक को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि राज्य के शीर्ष अधिकारियों द्वारा की गई जातिगत प्रताड़ना का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र न्यायिक समिति से कराई जानी चाहिए, जिसकी अध्यक्षता पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के किसी न्यायाधीश द्वारा की जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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वरुण चौधरी ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में गंभीर खामियां हैं। उन्होंने मांग की कि एफआईआर में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(2)(5) जोड़ी जाए। इसके अलावा, जिन दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम सुसाइड नोट में प्रमुखता से लिए गए हैं, उन्हें तुरंत पदभार से मुक्त किया जाए ताकि जांच निष्पक्ष रूप से हो सके।

सांसद ने प्रशासक से पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने की भी मांग की। उन्होंने बताया कि वाई पूरण कुमार की पत्नी अमनीत पी़ कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस से उन दस्तावेजों की आधिकारिक प्रति मांगी है जो जांच के दौरान पुलिस ने अपने कब्जे में लिए थे। उन्होंने कहा कि परिवार को अब तक पारदर्शिता और सुरक्षा दोनों से वंचित रखा गया है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

जातिगत भेदभाव बना आत्महत्या का कारण

मांग पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया कि वाई पूरण कुमार द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में जातिगत भेदभाव और अपमानजनक व्यवहार को आत्महत्या का मुख्य कारण बताया गया है। सांसद चौधरी ने कहा कि यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली है और अगर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के साथ ऐसा हो सकता है, तो यह प्रशासनिक तंत्र पर गहरा प्रश्नचिह्न है। उन्होंने कहा कि हम तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक न्याय नहीं मिलता और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती।

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