झज्जर, 7 दिसंबर (हप्र)
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का कहना है कि केंद्र सरकार को किसानों की ताकत का शायद अंदाजा नहीं है। अभी तो केवल किसान ही सड़कों पर बैठ तीन कानूनों को रद्द करवाने की मांग कर रहे हैं। परंतु इन किसानों की मातृ शक्ति भी सड़कों पर उतर आएगी, तो केंद्र को हर हाल में किसानों की ताकत के आगे झुकना पड़ेगा। पाटकर ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर 9 दिसंबर को भी सरकार से बातचीत के बाद कोई हल न निकला तो यह आंदोलन और विशाल रूप ले लेगा परंतु यह आंदोलन सत्याग्रह रूप में ही रहेगा।
टीकरी बॉर्डर पर पहले आंदोलनरत किसानों और फिर मीडिया से रू-ब-रू हुई मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार का नजरिया पूर्णत: किसान विरोधी है। जब यही सरकार मजदूर हित के 44 कानून वापस ले सकती है तो किसान विरोधी 3 कानून वापस क्यों नहीं लेती।
सोनीपत बाॅर्डर पर बढ़ाया उत्साह
सोनीपत (हप्र) : नर्मदा बचाओ आंदोलन की मुखिया रही मेधा पाटकर यहां किसानों के धरने पर समर्थन करने पहुंची। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को मछवारे भी समर्थन कर रहे हैं और 8 के बंद में शामिल होने का उन्होंने आह्वान किया है। किसानों के नेता स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत ने कहा कि लगता है केंद्र की सरकार 32 साल पहले किया गया आंदोलन दोबारा देखना चाहती है। अगर सरकार की यही मंशा है, तो किसान तो घर से आ गया है, अब सरकार सोचे उसे कहां तक जाना है। चूंकि यह किसान तो अपना हक लेकर ही वापस घर जाएगा। वहीं, किसानों का समर्थन करने पहुंचे योगश्री स्वामी हर्षानंद ने बार्डर पर जमकर समा बांधा। उन्होंने सिख किसानों, मुस्लिम सेवकों के साथ मिलकर जयश्रीराम के नारे लगाए, तो ईश्वर, अल्लाह और वाहेगुरू के गीत गुनगुनाए।