अस्पतालों को 3050 करोड़ से अधिक का भुगतान, देरी की शिकायतें निराधार
सरकार के अनुसार, सिर्फ 5 अगस्त से अब तक 200 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। वहीं, चिरायु योजना के तहत लंबित बकाया निपटान के लिए 291 करोड़ रुपये अतिरिक्त स्वीकृत किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष (2025-26) में अब तक केंद्र और राज्य सरकारों से 480 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। आईएमए द्वारा सेवाएं वापस लेने के आह्वान के बीच प्रवक्ता ने कहा कि छोटे अस्पतालों को प्राथमिकता के साथ भुगतान किया जा रहा है और लंबित दावों को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।
पारदर्शी निपटान और ऑनलाइन प्रणाली
दावों का निपटान एनएचए के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए 60 डॉक्टरों की टीम करती है। अधूरे दस्तावेज वाले दावों पर अस्पतालों से स्पष्टीकरण मांगा जाता है। प्रवक्ता के मुताबिक, कटौती तभी होती है जब क्लिनिकल जस्टिफिकेशन या जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते। राज्यभर के कई पैनलबद्ध अस्पतालों का आज औचक निरीक्षण किया गया। सरकार ने चेतावनी दी है कि कमी पाए जाने पर नियमों के अनुसार कड़ी कार्रवाई होगी।
जिला अस्पताल होंगे मजबूत
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि जिला अस्पतालों को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। नई नियुक्तियों और पोस्ट-ग्रेजुएट नीति के कारण विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ी है। सीटी/एमआरआई, डायलिसिस, ब्लड बैंक और कैंसर देखभाल जैसी सेवाएं अधिकांश जिलों में उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। सरकार का दावा है कि अगर निजी अस्पतालों ने योजना से किनारा किया तो भी जिला अस्पताल और सरकारी मेडिकल कॉलेज लाभार्थियों का पूरा इलाज करने में सक्षम हैं। वर्तमान में प्रतिदिन औसतन 2500 प्री-ऑथ पंजीकृत हो रहे हैं, जिससे निजी अस्पतालों को लगभग 2 करोड़ रुपये प्रतिदिन का लाभ हो रहा है।