गुंजन कैहरबा/निस
इन्द्री, 5 मई
‘हाथ किताबें लगी ना अब तक, देख रहे सब बाट, बांट रही मोबाइल सबको, देख लियो सब ठाठ, पढ़न की खातिर नहीं किताबें, ना बैठन को टाट, फिर कह देंगे नहीं पढ़ाए, बच्चे रह गए सपाट।’ कवि सलिन्द्र अभिलाषी की ये पंक्तियां स्कूलों में आज की स्थितियों को सही बयान कर रही हैं। शिक्षा-सत्र शुरू हुए एक महीने से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए आज तक किताबें नहीं भेजी गई हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई को भारी नुकसान हो रहा है। अभिभावक भी अपने बच्चों की पढ़ाई और किताबों को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। अध्यापकों को बच्चों को पढ़ाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गत वर्ष भी विभाग द्वारा बच्चों को किताबें नहीं दी गई थी। इसलिए बच्चों के पास पुरानी किताबें भी नहीं हैं, जिनका आदान-प्रदान करके अध्यापक काम चला लेते थे।
सत्र 2020-21 में विभाग द्वारा स्कूलों में किताबों की सप्लाई काफी देरी से की गई थी। सत्र 2021-22 में विभाग ने किताबें नहीं भेजी। हां, दिसंबर माह के आस-पास किताबों के लिए रुपये विद्यार्थियों के खातों में डाले गए। अध्यापकों ने बताया कि गत सत्र में विभाग ने जिस समय बच्चों को रुपये दिए थे, उस समय बाजार में किताबें उपलब्ध नहीं थीं। अधिकतर विद्यार्थी किताबें खरीद नहीं पाए थे।
डीईईओ को नहीं पता कब आएंगी किताबें : जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा ने बताया कि किताबें शिक्षा मुख्यालय से प्रकाशित करके भिजवाई जाती हैं। फिलहाल नहीं भिजवाई गई हैं। स्कूलों में अध्यापकों द्वारा किताबों के आदान-प्रदान के माध्यम से काम चलाया जा रहा है। उन्हें जानकारी नहीं है कि कब तक किताबें आ पाएंगी।
नौवीं से 12वीं के बच्चों को भी मिलें मुफ्त पुस्तकें
अभिभावक मंच के प्रधान नरेन्द्र कुमार व रणजीत सिंह ने कहा कि सरकार को नौवीं से 12वीं के विद्यार्थियों को भी मुफ्त किताबें उपलब्ध करवानी चाहिए। जाने क्यों सरकार शिक्षा व किताबों के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाना चाहती है।
बुक्स शिक्षा का मुख्य औजार
अध्यापक नेता नरेश मीत व महिन्द्र कुमार ने कहा कि किताबों के बिना पढ़ना और पढ़ाना दोनों ही बेहद दूभर कार्य हैं। जैसे किसी औजार के बिना काम नहीं होता, उसी प्रकार से किताबों के बिना पढ़ाई भी नहीं होती। हालांकि ग्रीन बोर्ड पर लिखकर अध्यापक विद्यार्थियों को लिखित सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग को जल्द से जल्द किताबें स्कूलों में भेजने का प्रबंध करना चाहिए।