सज्जन सैनी/ निस
नारनौंद , 27 अप्रैल
राखीगढ़ी में हड़प्पा कालीन सभ्यता के कुछ और राज़ सामने आ सकते हैं। यह सबसे बड़ी धरोहर है और पूरे विश्व में सबसे बड़ी साइट है। खुदाई के दौरान मिले अवशेषों से और भी कुछ गहरे राज खुलने वाले हैं। टीलें नंबर सात पर मिले कंकालों का डीएनए सैंपल अब तक की हुई खोदाई में पहली बार मिला है। इसे पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। आईकॉनिक साइट राखीगढ़ी में इन दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली की तरफ से खुदाई का कार्य चला हुआ है। खोदाई में अनेक चौकाने वाले अवशेष मिल चुके हैं। लेकिन टीलें नंबर सात पर मिले कंकालों से पहली बार ऐसा हुआ है कि जिनमें से कंकालों का डीएनए सैंपल लिया गया है। साइंटिस्ट नीरज राय की टीम सैंपल लेने के लिए राखीगढ़ी पहुंची। उनके साथ राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के चेयरमैन तरुण विजय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली के संयुक्त निदेशक संजय मंजूल, रीजनल डायरेक्टर नॉर्थ अरविंद मंजूल भी थी। यह सैंपल उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट लैब में जाएगा। रिपोर्ट आने में करीब एक साल का समय लगेगा। उसके बाद क्रॉस चैकिंग के लिए इनको दूसरी लैब में भेजा जाएगा। पिछली बार हुई खुदाई में टीले नंबर सात से काफी मात्रा में कंकाल मिले थे। जिनमें से सिर्फ एक कंकाल का ही सैंपल लिया गया था और उसके डीएनए से यह साबित हुआ था कि यह कंकाल करीब साढे चार हजार वर्ष पुराना है। इन को साबित करने के लिए पूरे भारतवर्ष से अलग-अलग जगह के करीब ढाई हजार लोगों के सैंपल लिए गए थे। माना जा रहा है कि जल्द ही दुनिया के सामने कई चौंकाने वाले राज़ आ सकते हैं।
इस तरह लिया जाता है सैंपल
सैंपल लेने के दौरान काफी सावधानियां बरती जाती हैं पूरी टीम को पीपीई किट पहननी पड़ती है। कंकाल में जो सबसे बड़ी हड्डी होती है उसे काटकर उसके अंदर से सैंपल लिया जाता है। सैंपल लेने के लिए सबसे लंबी हड्डियां और दांत ही प्रयोग में लाए जाते हैं। इस दौरान जिस कंकाल का सैंपल लिया जाता है। उसका पूरा बायोडाटा तैयार किया जाता है और उसका अच्छी तरह से स्कैच बनाया जाता है।