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मानसून से बैराज की मरम्मत का काम प्रभावित, 30 तक पूरा करने का है लक्ष्य

पांच राज्यों में पानी का बंटवारा करता है हथिनीकुंड बैराज
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सुरेंद्र मेहता/ हप्र

यमुनानगर, 27 जून

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पिछले तीन-चार वर्षो में पहाड़ों पर अधिक वर्षा होने से हथिनीकुंड बैराज की डाउनस्ट्रीम में काफी नुकसान हुआ है। वहीं बैराज के आसपास अवैध माइनिंग से भी इसका स्ट्रक्चर प्रभावित हुआ है। हरियाणा सरकार ने सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर बैराज के प्रोटेक्शन के लिए टेंडर अलाॅट किए थे। जिसके बाद इसकी मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में 2 बार आई वर्षा से यह कार्य प्रभावित हुआ। 27 जून को यह कार्य पूरा होना था, परंतु अब उसे 30 जून तक पूरा किए जाने का दावा है। सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल का कहना है कि सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर बैराज की टेंपरेरी प्रोटेक्शन का कार्य किया जा रहा है। बरसात से कार्य प्रभावित हुआ है, लेकिन इसे 30 जून तक हर हालत में पूरा करने का प्रयास है।

आरएस मित्तल ने कहा कि बैराज की प्रोेटेक्शन में जो एजेंसी जुटी है, अगर मानसून में कोई नुकसान होता है तो उसकी भरपाई एजेंसी ही करेगी। और जो भी कार्य किया जाएगा विभाग उसके लिए अतिरिक्त राशि नहीं देगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि बैराज की सुरक्षा को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। मित्तल ने बताया कि जहां पहले 70000 क्यूसेक से अधिक पानी होने पर हथिनी कुंड बैराज के सभी 18 गेट खोले जाते थे, वहीं अब यह 1 लाख क्यूसेक होने के बाद सभी गेट खोले जाते हैं। एक लाख क्यूसेक पानी होने पर पहले 3 बार सायरन बजाया जाता है, ताकि लोग सतर्क हो जाएं और यमुना के आसपास से दूर हो जाएं। इसी तरह प्रशासन को भी सूचना दी जाती है। वहीं सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर ने बताया कि बाढ़ रोकथाम के लिए अधिकांश कार्य पूरे होने वाले हैं। एजेंसियों को कहा गया है कि 30 जून से पहले काम पूरे कर लें, क्योंकि 1 जुलाई से 30 सितंबर का समय मानसून का होता है, इस दौरान कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता।

1999 में बना था, तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने किया था उद्घाटन

देश के 5 राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश में पानी के बंटवारे को लेकर 1994 में इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक समझौता किया था। जिसके बाद बंसीलाल सरकार ने रिकॉर्ड 3 वर्ष में हथिनीकुंड बैरोज काे 1999 में तैयार करवा कर स्वयं इसका उद्घाटन किया था। 1999 के बाद कई बार हथिनी कुंड बैराज को बाढ़ की मार झेलनी पड़ी। जिसके बाद हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने इसको लेकर सीडब्ल्यूसी के पास फरियाद लगाईऔर सीडब्ल्यूसी के निर्देशों के बाद इसकी मरम्मत का काम शुरू हुआ। लेकिन अभी काफी काम बकाया है और मानसून आ चुका है। अब देखना है कि इस बार बैराज का स्ट्रक्चर का सुरक्षित रहता है या उसे नुकसान पहुंचता है।

 

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